कौन है नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के अंतर्गत और इसके बाहर, जाने इसकी शर्ते

नई दिल्ली: नागरिकता (संशोधन) विधेयक(CAB) 2019 जो आखिरकार 11 दिसंबर को राज्यसभा से पास हो ही गया। राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 125 और विरोध में 105 वोट डाले गए। इससे पहले 9 दिसंबर कोगृह

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नई दिल्ली: नागरिकता (संशोधन) विधेयक (CAB) 2019 जो आखिरकार 11 दिसंबर को राज्यसभा से पास हो ही गया। राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 125 और विरोध में 105 वोट डाले गए। इससे पहले 9 दिसंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने यह बिल लोकसभा में पेश किया था। बिल को पेश करने के बाद सरकार के पक्ष में 293 वोट पड़े वहीं विरोध में 80 वोट पड़े थे। बिल को अब राष्ट्रपति की मंजू़री के लिए भेज दिया गया हैं। जिसके बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा।

1955 में संशोधन के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) 2019 लाया गया हैं। जिससे चुनिंदा श्रेणियों में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का पात्र बनाया जा सके। इसके तहत पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के छह समुदायों हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इनमें वह सभी शामिल होंगें जो अवैध रूप से भारत आए हैं या जिनके दस्तावेज की समय सीमा खत्म हो गई है। इन तीनों देशों से आए लोग बिना अपने माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र के अगर 6 साल तक भारत में रहते है तो उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी। जो फिलहाल भारत में अवैध प्रवासी हैं। कानून बनने के बाद ये भारत केे नागरिक बनने के पात्र हो जाएंगे।

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कौन कर सकता है CAB के लिए अप्लाई?

2019 के इस संशोधन के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़गानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों के लिए 11 साल भारत में बिताने की शर्त घटाकर 6 साल की गई है। नागरिकता अधिनियम के मुताबिक  बीते 14 सालों में से 11 साल भारत में बिताने वाले और बीते 12 महीनों से लगातार भारत में रह रहे लोग नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। वह सभी विदेशी जो भारत में रह रहे है भारतीय नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकेंगे। इस विधेयक में विदेशों में रहने वाले भारतीय नागिरकों के ओवरसीज़ सिटिज़न ऑफ़ इंडिया कार्ड (OCI Card) रद्द करने के प्रावधान को भी शामिल किया है। लेकिन इसकी भी कई शर्ते हैं। अगर कोई OCI कार्डधारक केंद्र सरकार द्वारा जारी किए हुए अधिसूचित कानून का उल्लंघन करता है तो उससे विदेशी भारतीय नागरिकता वापस ले ली जाएगी। हालांकि, पूर्वोत्तर के सातों राज्यों (इन राज्यों के कुछ हिस्सों को छोड़कर) को नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 से छूट मिली हुई है।

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कौन है CAB से बाहर?

नागरिकता (संशोधन) विधेयक (CAB) 2019 के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर नागरिकता संशोधन बिल का विरोध कर रही हैं। सरकार का तर्क यह है कि धार्मिक उत्पीड़न की वजह से इन देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को CAB के माध्यम से सुरक्षा दी जा रही है।  सरकार का तर्क है कि इन राज्यों के संविधान में इस्लाम को देश का धर्म माना गया है। ऐसे में यहां रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किया जाता है। परेशान होकर भारत में शरण लेने वाले इन लोगों को भारत की नागरिकता और सभी अधिकार दिए जाएंगे। विधेयक में कहा गया है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे लाखों लोग अविभाजित भारत का हिस्सा थे। 

असम के कर्बी एंगलॉन्ग, मेघालय की गारो हिल्स, मिज़ोरम के चकमा डिस्ट्रिक्ट और त्रिपुरा के ट्राइबल एरिया जिले, संविधान की छठी अनुसूची में आते हैं। 1873 के बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहतइनर लाइन परमिट की प्रक्रिया लागू की गई है। इसके तहत भारतीय नागरिकों को भी  इन राज्यों में जाने के लिए परमिट की ज़रूरत होती है। मणिपुर राज्य में फिलहाल इनर लाइन परमिट लागू नहीं है। लेकिन केंद्र सरकार ने मणिपुर में इस संशोधन से पहले इनर लाइन परमिट लागू करने की बात कही है। इससे मणिपुर पर भी नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के प्रावधान लागू नहीं होंगे। 

नागरिकता पाने की क्या है शर्तें?  

भारत में रह रहे अवैध  प्रवासियों को नागरिकता संशोधन बिल 2019 का लाभ मिलेगा। संशोधन के बाद इन चार शर्तों को पूरा करने वाला अवैध प्रावसी भारत का नागरिक होगा। 

  • वो हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध,पारसी या जैन धर्म को मानने वाला हो। 
  • वो अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से हो।
  • वो भारत में 31 दिसंबर, 2014 या उससे पहले आया हो।
  • वो असम, मेघालय, मिज़ोरम, त्रिपुरा के उन हिस्सों में से हो जहां संविधान की छठी अनुसूची लागू हो और इनर लाइन परमिट के तहत आने वाले अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और नागालैंड में न रह रहा हो।