By नवभारत | Updated Date: Aug 13 2019 9:50AM |
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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, अभिनेता रजनीकांत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ‘कृष्ण’ और ‘अर्जुन’ की तरह हैं. इस पर आपकी क्या राय है?’’ हमने कहा, ‘‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी! रजनीकांत को ऐसी दिव्यानुभूति हुई जैसी महान योगियों को होती है. उन्होंने पहचान लिया कि इस कलियुग में कृष्ण और अर्जुन मोदी और शाह बनकर अवतरित हुए हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मोदी और अमित शाह की आंख पर चश्मा चढ़ा है, जबकि कृष्ण और अर्जुन की दिव्यदृष्टि थी. कृष्ण ने अर्जुन को गीता सुनाई थी, मोदी क्या सुना रहे हैं?’’ हमने कहा, ‘‘हर कार्य समय के मुताबिक होता है. मोदी सारे भारतवासियों को ‘मन की बात’ सुनाते हैं. कृष्ण और अर्जुन की महाभारत में भूमिका थी, मोदी और शाह नया भारत या न्यू इंडिया बना रहे हैं. अर्जुन ने चिड़िया की आंख को निशाना बनाया था तो मोदी-शाह की जोड़ी ने सीधे धारा 370 को अचूक निशाना साधकर समाप्त कर दिया. आप चाहें तो शाह को शहंशाह मान सकते हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, भक्तजन कृष्ण को गोपाल कहते हैं. गाय से उन्हें विशेष प्रेम था.’’ हमने कहा, ‘‘मोदी के शासन में भी गौरक्षक विशेष रूप से सक्रिय हो गए. उनके पराक्रम के किस्से आपने पढ़े होंगे. संत और साध्वी भी अपने प्रखर विचार रखने के लिए स्वतंत्र हैं. कांग्रेसी धर्मनिरपेक्षता को भेदकर भाजपा ने धार्मिक प्रतीकों को प्रतिष्ठा दी है. भगवान कृष्ण ने भी वादा किया था कि जब-जब धर्म की ग्लानि होगी मैं धर्म की संस्थापना के लिए आऊंगा. अब मोदी और शाह यही सब तो कर रहे हैं. रजनीकांत उम्मीद कर सकते हैं कि धारा 370 समाप्त करने के बाद कॉमन सिविल कोड और राम मंदिर की दिशा में भी कदम उठेंगे. वे मोदी-शाह में ऐसी ही अटूट आस्था बनाए रखें. कुछ न कुछ चमत्कार होकर रहेगा.’’