By नवभारत | Updated Date: Nov 17 2019 5:26PM |
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नई दिल्ली/लखनऊ. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा मस्जिद के लिए वैकल्पिक स्थान पर पांच एकड़ की जमीन भी स्वीकार नहीं करेगा। लखनऊ के मुमताज पीजी कॉलेज में बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसन नदवी की अध्यक्षता में बोर्ड की कार्यकारिणी सदस्यों की बैठक में ये फैसला लिया गया।
बैठक के बाद बोर्ड के सदस्यों ने मामले की जानकारी प्रेस कांफ्रेस कर दी। बोर्ड के सचिव एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने कहा कि हमें वही जमीन चाहिए जिसके लिए हमने लड़ाई लड़ी। मस्जिद के लिए किसी दूसरी जगह जमीन लेना शरिया के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को माना कि वहां नमाज पढ़ी जाती थी जबकि गुंबद के नीचे भगवान राम के जन्मस्थान का कोई प्रमाण नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मस्जिद की जमीन स्थानांतरित नहीं की जा सकती। वहीं, बोर्ड की बैठक के लिए अचानक से स्थान बदलने पर जिलानी ने कहा कि हम नदवा कॉलेज में ही बैठक करना चाहते थे लेकिन जिला व पुलिस प्रशासन ने हमें वहां बैठक करने से रोका और दबाव बनाया। जिससे कि ऐन वक्त पर बैठक का स्थान बदलना पड़ा। मैं जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के इस रवैये की कड़ी निंदा करता हूं।
वहीं, मामले के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर करने से इंकार पर जिलानी ने कहा कि अयोध्या के लोगों ने हमें बताया कि जिला व पुलिस प्रशासन ने हम पर दबाव बनाया था कि जुमे के दिन फैसले के खिलाफ कुछ न बोला जाए हो सकता है इसी दबाव के चलते इकबाल अंसारी पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के पक्ष में न हों। उन्होंने कहा कि याचिका दाखिल करने के लिए हमारे पास 30 दिन का समय है। इस दौरान हम पूरी तैयारी कर लेंगे। उन्होंने कहा कि सभी पक्षकार अलग-अलग याचिका भी दायर कर सकते हैं। बोर्ड की बैठक में मौलाना महमूद मदनी, अरशद मदनी, मौलाना जलाउद्दीन उमरी, मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली, असदुद्दीन ओवैस, मौलाना उमरे रहमानी, वली रहमानी व खालिद सैफुला रहमानी भी मौजूद थे।
लखनऊ में हो रही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक पर बाबरी मामले के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा कि हमने फैसला स्वीकार कर लिया है। अब आगे नहीं जाना चाहते। उन्होंने कहा कि हम भारत के मुसलमान हैं और संविधान मानते है। अयोध्या मुद्दा बेहद अहम था अब इसे आगे नहीं बढ़ाएंगे। हम चाहते हैं कि मामले को यहीं पर खत्म कर दिया जाए।