कोरोना की दहशत अब तो बंद करें शाहीनबाग धरना

कोरोना की इतनी विश्वव्यापी दहशत के बावजूद दिल्ली के शाहीनबाग में धरना जारी रहना अविवेकपूर्ण है. इतने बड़े जमाव की वजह से यह महामारी तेजी से फैल सकती है, इसलिए समझदारी का तकाजा है कि प्रदर्शनकारी अपने

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कोरोना की इतनी विश्वव्यापी दहशत के बावजूद दिल्ली के शाहीनबाग में धरना जारी रहना अविवेकपूर्ण है. इतने बड़े जमाव की वजह से यह महामारी तेजी से फैल सकती है, इसलिए समझदारी का तकाजा है कि प्रदर्शनकारी अपने घरों को लौट जाएं. 3 माह से भी ज्यादा समय से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ यह धरना जारी है जिसमें बड़ी तादाद में महिलाओं को बिठाया गया है. सवाल उठता रहा है कि इन लोगों के घर का कामकाज व खर्च कैसे चल रहा है? क्या इसके पीछे कोई विदेशी ताकतें हैं जो भारत विरोधी षडयंत्र कर रही हैं? बार-बार मध्यस्थों ने चर्चा के प्रयास किए लेकिन धरना देने वाले अपने अड़ियल रुख पर कायम रहे. जिस विधेयक को संसद में पारित कर राष्ट्रपति की स्वीकृति से कानूनी रूप मिल चुका है, वह कैसे वापस होगा. किसी भी दबाव में ऐसा नहीं किया जा सकता. जानलेवा कोरोना के खतरे को देखते हुए प्रदर्शनकारियों को तुरंत हट जाना चाहिए. सरकार भी इस स्थिति में क्या करे? वह हर उम्र के हजारों लोगों को गिरफ्तार कर जेल नहीं भेज सकती क्योंकि कोरोना का संक्रमण गजब ढा सकता है. यह भी कहा जा रहा है कि सरकार को प्रदर्शनकारियों से संवाद करना चाहिए. सरकार शुरू से ही बातचीत के लिए तैयार थी. संसद के दोनों सदनों, राजनीतिक सभाओं तथा अपने बयानों से सरकार व उसके नेता बार-बार प्रदर्शनकारियों के किसी प्रतिनिधि से चर्चा की तैयारी दर्शा चुके हैं. समस्या यह है कि प्रदर्शनकारियों के नेता बातचीत करना ही नहीं चाहते बल्कि धरना जारी रखते हुए सरकार व राष्ट्र को बदनाम करने में लगे हैं. सरकार ने इस मामले में यथासंभव संयम बरता है. शाहीनबाग और चेन्नई में सार्वजनिक व्यवस्था को तहस-नहस कर जिस तरह सड़क रोक कर धरना दिया जा रहा है, उससे तो यही लगता है कि बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय ताकतों का इसके पीछे हाथ है जो भारत की विविधता में एकता को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं. हो सकता है कि प्रदर्शनकारियों को उनके नेता यह कहकर गुमराह कर रहे हैं कि सरकार कोरोना के खतरे को बढ़-चढ़कर बता रही है परंतु ऐसा बिल्कुल नहीं है. कोरोना सारी दुनिया के लिए विभीषिका बन चुका है. ऐसे समय पर धरना जारी रखना क्या आत्मघाती नहीं होगा?  वहां कौन बार-बार साबुन से हाथ धोएगा या सैनिटाइजर इस्तेमाल करेगा? संक्रमण फैला तो न जाने क्या होगा!