घुमा-फिराकर न कहो कौन हैं, नाम तो लो हम दो हमारे दो

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को बीजेपी और संघ से जुड़े लोग नासमझ और पप्पू करार देते रहे लेकिन अब तो मोदी सरकार को भी राहुल की वाकपटुता का लोहा मानना पड़ रहा है. जब से राहुल ने सूट-बूट की सरकार का फिकरा कसा, प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) ने सूट पहनना छोड़ दिया. अब राहुल फिर मोदी सरकार की खिंचाई कर रहे हैं.’’ हमने कहा, ‘‘राहुल गांधी ने मोदी को पहचाना ही कहां है! अपने परिवार से दूर रहकर संन्यासी प्रवृत्ति रखने वाले मोदी ने एक अवसर पर कहा था- हम तो फकीर ठहरे, झोला-डंडा उठाकर चल देंगे.

    राष्ट्र की भलाई के लिए मोदी पूरी तरह समर्पित हैं. उन्होंने साहस का परिचय देते हुए तीन तलाक पर रोक जैसा कानून बनाया. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 समाप्त करवाई. घुसपैठ पर नियंत्रण लगाने के लिए नागरिकता रजिस्टर बनवाने की पहल करवाई. उनके सत्ता में रहते अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पहल हो रही है. मोदी की महानता को समझने की बजाय राहुल हमेशा उनकी आलोचना करते हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यदि मोदी अच्छा भाषण देते हैं और देशवासियों से मन की बात कहते हैं तो राहुल भी सरकार की चुटकियां लेने में पीछे नहीं रहते. उन्होंने कृषि कानूनों के संदर्भ में कहा कि ‘हम दो और हमारे दो’ इस देश को चलाएंगे और पहली बार हिंदुस्तान के किसानों को भूख से मरना पड़ेगा. वर्षों पहले फैमिली प्लानिंग में नारा था- हम दो, हमारे दो. आज क्या हो रहा है! जैसे कोरोना दूसरे रूप में आता है, वैसे ही यह भी नए रूप में आ रहा है. अब 4 लोग देश को चला रहे हैं. उनका नारा है- हम दो, हमारे दो. पहले पीएम ने ‘हम दो हमारे दो’ के लिए नोटबंदी की. तब ये मंशा थी कि नोट निकालो और हम दो हमारे दो की जेब (Hum Doh, Humare Doh) में डालो.’’

    हमने कहा, ‘‘राहुल पहेलियां क्यों बुझाते हैं, साफ-साफ नाम क्यों नहीं लेते कि हम दो हमारे दो कौन हैं? संकेतों में बातें क्यों करते हैं?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘समझदार के लिए इशारा काफी होता है. हम दो का मतलब है- मोदी और अमित शाह तथा हमारे दो का अर्थ है अंबानी और अदानी. विपक्षी पार्टियों को आंदोलनजीवी कहने वाले मोदी को यह राहुल का जवाब है. प्रधानमंत्री के इस कथन पर कि उन्होंने किसानों को आप्शन दिया है, निशाना साधते हुए राहुल ने कहा कि उनका पहला आप्शन भूख, दूसरा बेरोजगारी और तीसरा आत्महत्या है. मोदी निजी क्षेत्र की भागीदारी विकास के लिए जरूरी समझते हैं लेकिन राहुल उनकी सरकार पर उद्योगपति मित्रों से दोस्ती या क्रोनी कैपिटलिज्म का आरोप लगाते हैं. लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष दोनों को अपनी बात रखने का हक है. फैसला जनता के हाथों में है. वही दूध का दूध और पानी का पानी का कर सकती है.’’