जैसा समझो वैसा, भागवत का विचार कैसा, सबका DNA एक जैसा

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि सभी भारतवासियों का, चाहे वे हिंदू हों या मुस्लिम, डीएनए एक ही है. भारतीय मुस्लिमों के पूर्वज हिंदू ही थे. उन्होंने मुस्लिम विचार मंच से यह ज्ञानवर्धक बात कही. उनके डीएनए वाले बयान पर आपकी क्या राय है?’’ हमने कहा, ‘‘भागवत ने भावनात्मक ढंग पर यह बात कही जैसे कि कोई यह कहे कि सभी इंसानों की रगों में एक ही खून दौड़ता है. सभी के लहू का रंग लाल होता है. वैज्ञानिक ढंग से विचार करें तो वास्तविकता भिन्न है. डीएनए की खोज डा. हरगोविंद खुराना ने अमेरिका में की थी. हर इंसान के अंगूठे का निशान, फिंगर प्रिंट और डीएनए अलग-अलग होता है. 

    भागवत स्वयं वेटरनरी डाक्टर रहे हैं. वे भी वैज्ञानिक तथ्य से भलीभांति अवगत होंगे. हर किसी की जीनोम सीक्वेंसिंग या गुणसूत्र श्रृंखला अलग होती है. किसी परिवार के लोग लंबी आयु 80-90 वर्ष तक जीवित रहते हैं तो कहीं 50-60 की उम्र में चल बसते हैं. दीर्घजीवी लोगों का डीएनए अलग किस्म का होता है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, राष्ट्रीय एकता के लिहाज से भागवत का कथन महत्वपूर्ण है. संघप्रमुख सांस्कृतिक विचार प्रस्तुत करते हैं, इसमें साइंस को मत लाइए.’’ हमने कहा, ‘‘आपको याद होगा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता व राज्यपाल रह चुके नारायणदत्त तिवारी पर रोहित शेखर नामक युवक ने पैटर्निटी सूट या पितृत्व मामला दायर किया था. 

    इस युवक की मांग थी कि एनडी तिवारी और उसकी मां उज्ज्वला के आपसी रिश्ते रह चुके हैं. तिवारी का डीएनए परीक्षण किया जाए, जिससे साबित हो जाए कि एनडी तिवारी ही उसके जैविक पिता हैं. आखिर उस युवक को न्याय मिला और अपने जीवन के अंतिम वर्षों में तिवारी ने रोहित शेखर को अपना बेटा स्वीकार कर लिया. इस तरह डीएनए से पितृत्व की पहचान हो जाती है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यूपी में फरवरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. वहां की मुस्लिम आबादी को आकर्षित करने के लिए हिंदू-मुस्लिम का एक ही डीएनए वाला बयान जरूरी है. मुगल शासनकाल में यहां के कुछ लोगों ने दबाव या प्रलोभन में आकर इस्लाम स्वीकार कर लिया था. युद्ध में पकड़े गए सैनिकों का भी जबरन धर्मांतरण किया जाता था. इसलिए भागवत का कथन उदारतापूर्ण है.’’