पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, संसद के मानसून सत्र के पूर्व बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल किया कि इस बैठक में प्रधानमंत्री क्यों मौजूद नहीं हैं? जब सरकार ने इस मीटिंग को बुलाया है तो पीएम को हाजिर रहना चाहिए था. मेहमान मौजूद और मेजबान नदारद, ये कैसी बात हुई! इससे विपक्षी दलों की बेइज्जती हुई.’’ हमने कहा, ‘‘मल्लिकार्जुन कोई महाभारत के अर्जुन नहीं हैं जो इस तरह तीर चलाएं. प्रधानमंत्री नहीं आए तो क्या हुआ, बाकी मंत्री तो वहां थे. पीएम को इस तरह बाध्य नहीं किया जा सकता.
वे अपनी मर्जी के मालिक हैं. इच्छा होगी तो आएंगे, नहीं तो उनके पास और भी बहुत से काम हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, मल्लिकार्जुन का आरोप गलत था क्योंकि प्रधानमंत्री ने तुरंत ट्वीट किया कि वे बैठक में आए थे. इस पर टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने जवाबी ट्वीट किया- ‘प्रधानमंत्री महोदय, आप सचमुच आए थे. यह सर्वदलीय बैठक 2 घंटा 40 मिनट चली. आप बैठक में 9 मिनट तक रहे. इतनी देर हमें आपका सानिध्य मिला. आपने 3 मिनट तक लोगों की बातें सुनीं, फिर फोटोग्राफर और वीडियो कैमरामैन को 2 मिनट तक फोटो खींचने का समय दिया. आप 4 मिनट बोले और फिर चले गए.’’ हमने कहा, ‘‘एक व्यस्त प्रधानमंत्री, विश्वस्तरीय नेता ने इतना समय दिया, यह क्या कम है! उन्होंने सभी पार्टियों के नेताओं को अपनी झलक दिखला दी. कोरोना काल है, जिसमें दूरियां बनाए रखना जरूरी है.
हर किसी को समझना चाहिए कि 2 गज की दूरी, मास्क है जरूरी! पीएम इस दौरान कोरोना की तीसरी लहर और यूपी विधानसभा चुनाव की चिंता कर रहे होंगे. अफगानिस्तान के तालिबान पर भी उनका ध्यान होगा. उन्होंने नए मंत्री तो बना दिए लेकिन संसद में उनका परफॉर्मेंस कैसा रहेगा, इसकी भी पीएम को फिक्र होगी. जब पीएम को अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी संवारने या ट्रिम करने की फुरसत नहीं है तो बैठक में लंबा समय कैसे देते? वे उतना ही वक्त देते हैं जितना मुनासिब समझते हैं.’’