राहुल हैं तो मददगार लेकिन कब बन पाएंगे जिम्मेदार

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बारे में 2 ऐसे विचार आए हैं जो एक-दूसरे से पूरी तरह विपरीत हैं. एक तरफ तो बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राहुल गांधी पढ़ते-लिखते नहीं हैं और दुनिया की खबरों से वाकिफ नहीं रहते हैं, दूसरी ओर यह भी कहा गया कि कोरोना संकट(Coronavirus) के दौरान आम जनता को हरसंभव सहायता पहुंचाने के मामले में राहुल तीसरे सबसे बड़े मददगार सांसद रहे हैं. ऐसे मदद करने वाले सांसदों की सूची में 10वां नाम केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari)का है. अब आप बताइए कि राहुल के बारे में आपकी क्या राय है?’’ हमने कहा, ‘‘बादशाह अकबर को पढ़ना-लिखना नहीं आता था तो उसने अपने दरबार में नवरत्न रख लिए थे.

राहुल की कांग्रेस में भी बहुत से पढ़े-लिखे लोगों की टीम है. कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, पी चिदम्बरम, जयराम रमेश के अलावा शशि थरूर हैं जिनकी इंग्लिश पर बेमिसाल पकड़ है. किसी फर्म में मुनीम होशियार हो तो सेठ का काम मजे से चल जाता है. वास्तव में राहुल बीजेपी के सुनियोजित दुष्प्रचार के शिकार हैं जो उन्हें जानबूझकर ‘पप्पू’ कहती है. उसके नेता हमेशा यह कहते हैं कि राहुल को कुछ नहीं आता-जाता. वैसे राहुल अपने पिता स्व. राजीव गांधी के समान ही दून स्कूल में पढ़े हैं और अज्ञानी नहीं हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, राहुल ने ऐसा कौन सा तीर मारा है! वे कहीं तो अपनी क्षमता सिद्ध कर दिखाते. वे तो कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी ढंग से नहीं संभाल पाए और हट गए. इस वजह से अपनी अस्वस्थता के बावजूद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष पद संभालना पड़ रहा है. पुत्र के रहते मां को कष्ट उठाना पड़े, क्या यह अच्छी बात है? अभी कांग्रेस की 5 घंटे चली बैठक में राहुल अपने मोबाइल पर व्यस्त रहे और 3 बार बाहर गए लेकिन सोनिया लगातार बैठी रहीं.

आखिर 50 वर्ष के राहुल कब जिम्मेदार बनेंगे?’’ हमने किहा, ‘‘सिक्के के 2 पहलू होते हैं,  इसलिए राहुल गांधी की जिम्मेदारी पर शक मत कीजिए. दिल्ली स्थित सिटीजन एंगेजमेंट प्लेटफार्म के एक सर्वे के अनुसार राहुल कोरोना महामारी के दौरान लोगों को सर्वाधिक सहायता मुहैया करवाने वाले सांसदों में शामिल हैं. उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र वायनाड में मास्क, हैंड सैनिटाइजर, हैंड हेल्ड थर्मामीटर और वेंटीलेटर्स की कमी को दूर किया. उनकी टीम ने लोगों को घर तक पहुंचाने के लिए ट्रेन और बसें चलाईं और भोजन के पैकेट दिए, नकद सहायता की पेशकश की और सामुदायिक रसोई चलाने में मदद की ताकि कोई भूखा न रहे.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, राहुल सचमुच जी-जान लगा दें तो 2024 के चुनाव में पीएम पद के दावेदार बन सकते हैं.’’