निगाह में 2024 का चुनाव, ममता का दूर का दांव देती घरवापसी की छांव

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बंगाल में उन भाजपाइयों की घरवापसी का सिलसिला चल पड़ा है जो अमित शाह और कैलाश विजयवर्गीय के प्रयासों से बीजेपी में शामिल हुए थे. ये दलबदलू फिर अपनी पूर्व पार्टी टीएमसी में शामिल होने के लिए छटपटा रहे हैं. हमें तो लगता है कि इस तरह की घरवापसी से टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव को साधना चाहती हैं.’’ हमने कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव में टीएमसी की बड़ी जीत के साथ ही बीजेपी के हौसले पस्त हो गए. जो लोग ममता का साथ छोड़कर बीजेपी में चले गए थे, उन्हें हताशा हाथ लगी. राज्य में ‘पोरिबोर्तन’ नहीं आ पाया.

    मोदी और अमित शाह का धुआंधार प्रचार भी फेल रहा. अब दलबदल करनेवाले घरवापसी कर ममता की छांव में जाने को उत्सुक हैं. यह ममता बनर्जी की बड़ी सफलता है कि बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय बीजेपी छोड़कर वापस टीएमसी में लौट आए. मुकुल ने कहा कि बीजेपी से बाहर निकलकर अपने पुराने लोगों से मिलकर बहुत संतुष्टि मिल रही है. ममता ने भी मुकुल राय का अभिनंदन करते हुए कहा कि वे पार्टी में पहले जैसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. चुनाव के दौरान मुकुल ने हमारे साथ गद्दारी नहीं की.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, तब तो टीएमसी में धुन बज रही होगी- घर आया मेरा परदेसी, प्यास बुझी मेरी अंखियन की!’’ हमने कहा, ‘‘ऐसा कुछ नहीं है.

    मुकुल राय ने 2017 में पार्टी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी. उनकी बात अलग है. ममता उन अवसरवादी लोगों को वापस लेना नहीं चाहती जिन्होंने विधानसभा चुनाव में गद्दारी की.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ऐसा झटका तो देना ही पड़ेगा ताकि डर बना रहे. वैसे यदि बीजेपी के एक तिहाई विधायक पाला बदलकर टीएमसी में आ जाएं तो ममता उन्हें स्वीकार कर लेंगी. अब भी बंगाल में डरे हुए बीजेपी वर्कर लोगों से माफी मांगते घूम रहे हैं और कह रहे है कि ममता का कोई विकल्प नहीं है. हमने बीजेपी में जाकर भूल कर दी.’’