नया वर्ष शान से मनाएंगे कोरोना को हटाएंगे अच्छे दिन आएंगे

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), 2020 का वर्ष समूचे विश्व के लिए बड़ा तकलीफदेह रहा. कोरोना महामारी (Coronavirus) ने सभी को हिलाकर रख दिया. अमेरिका जैसी महाशक्ति इसके सामने बेबस नजर आई. दुनिया में लाखों लोगों की असमय मौत हो गई. फैंटम और क्रिश की बात छोड़िए, हर इंसान मास्क लगाने लगा. अब चेहरा तो नजर नहीं आता, सिर्फ आंखों से पहचान होती है. हाथ मिलाने की जगह नमस्ते ने ले ली. पहले कुछ लोगों की लाइन बिगड़ जाती थी लेकिन अब हर कोई ऑनलाइन रहने लगा. (New Year celebration)

इस वर्ष ने सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर, क्वारंटाइन, आइसोलेशन, कोरोना पॉजिटिव, स्ट्रेन, वैक्सीन, इम्यूनिटी, लॉकडाउन जैसे कितने ही शब्द जोर शोर से  प्रचलित कर दिए. वर्क फ्रॉम होम शुरू हो गया. मोबाइल और लैपटॉप पर बच्चों की पढ़ाई होने लगी. जज भी ऑनलाइन सुनवाई करने लगे.’’ हमने कहा, ‘‘जिंदगी फूलों की सेज नहीं रहती, कुछ न कुछ आपदाएं आती ही हैं. धैर्य रखकर उनसे मुकाबला करना पड़ता है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, वर्ष 2020 में अचानक लॉकडाउन (New Year celebration) लागू होने से प्रवासी मजदूरों का कितना बुरा हाल हुआ. वे सैकड़ों मील दूर अपने गांव के लिए पैदल ही भूख-प्यासे निकल पड़े. सड़कों पर उन्हें पुलिस रोक रही थी तो कुछ रेल पटरी पर चलने लगे. थकावट, कमजोरी और दुर्घटना में कितने ही लोगों ने दम तोड़ दिया. होटल-रेस्टारेंट, कैब चालक, ऑटो वाले, घरों में काम करने वाली मेड सभी बेकार हो गए. बेरोजगारी जमकर बढ़ी. स्कूल-कालेज सूने हो गए. मंदिर में भगवान तो थे लेकिन भक्त नदारद.’’ हमने कहा, ‘‘बीते वर्ष को कब तक दोष देते रहोगे? जो भी तकलीफें आनी थीं, वो आती रहीं.

कोरोना ने अमीर-गरीब, नेता-अभिनेता किसी को नहीं छोड़ा. खिलाड़ी भी सूने स्टेडियम में मैच खेलते रहे. इतने पर भी यह बात गौर करने लायक है कि लॉकडाउन की वजह से पर्यावरण शुद्ध हो गया था. मैदानी इलाकों से भी हिमालय के पर्वत शिखर साफ दिखाई देने लगे थे. वृक्ष हरे-भरे हो गए थे. कल-कारखाने बंद होने से नदियों का पानी स्वच्छ हो गया.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आगे के लिए कुछ उम्मीद है या नहीं? क्या नव वर्ष में कुछ अच्छा होगा?’’ हमने कहा, ‘‘पॉजिटिव आउटलुक या आशावादी दृष्टिकोण अपनाइए और कहिए कि नया वर्ष शान से मनाएंगे, कोरोना को हराएंगे, अच्छे दिन आएंगे.’’