बहुत बढ़ने लगा कोरोना जकड़ में हर कोना प्रशासन पड़ा बौना

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) हमें फिक्र है कि क्या पहले की तरह सामान्य जीवन लौट पाएगा? आता है याद हमको गुजरा हुआ ज्माना जब लोगों से तपाक से हाथ मिलाया करते थे और चेहरें की मुस्कुराहट मास्क के पीछे छुपी नहीं थी. होली-दशहरे-दिवाली पर लोग आत्मीयता से गले लगते थे. जाने कहां गए वो दिन!’’ हमने कहा, कोरोना ने हर कोना जकड़ रखा है. लॉकडाउन (Lock down) फिर लागू है जिसे आगे भी बढ़ाया ज सकता है.

    कोरोना संक्रमितों की मृत्यु दर में महाराष्ट्र देश में दूसरे नंबर पर है. पुणे नंबर वन पर है तो देश के बीचो बीच स्थित महाराष्ट्र की सेकंड कैपिटल का शहर नागपुर (Nagpur) कोरोना का हॉट स्पॉट बनता नजर आ रहा है. ऐसी हालत में सारा नेशन वैक्सीनेशन लगाने को आतुर है. लोग एक-दूसरे से वैक्सीन (Corona Vaccine) लेने वाली सेल्फी शेयर कर रहे हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बच्चों का भविष्य क्या होगा? आनलाइन पढ़ाई कभी भी क्लासरूम पढ़ाई का विकल्प नहीं बन सकती. पालकों को चिंताहै कि कोर्स पूरा नहीं हुआ, न जाने परीक्षा में क्य होगा? कोरोना के इंसानों के बीच दूरियां पैदा कर दी है. इसे सोशल डिस्टेंसिंग कहो या फिजिकल डिस्टेंसिंग, एक दूसरे से 2 गज की दूरी सभी की मजबूरी बन गई है. महात्मा गांधी ने छुआछूत को समाप्त कर दिया था, लेकिन आज कोरोना की वजह से कोई किसी को स्पशि करना नहीं चाहता.’’ हमने कहा, ‘‘कोरोना बढ़ने के पीछे लोगों का रवैया भी जिम्मेदार है.

    लोग जोमैटो और स्विगी से चटपटा खाना मंगा कर खाते हैं. वह डिलीवरी ब्वाय न जाने कितने घरों से होकर आता है. उससे भी तो संक्रमण फैल सकता है. घूमने-फिरने के शौकीन बेचारे ‘घर घुसवा’ बन कर रह गए हैं. डब्ल्यूएफएच या वर्क फ्राम होम में बॉस ज्यादा काम ले लेता है. उसे लगता है कि कर्मचारी घर में खाली बैठा है तो उसे बिजी रखा जाए’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कोरोना को कंट्रोल करने में प्रशासन बौना पड़ गया है. लोगों को ढील देने का नतीजा भुगतना पड़ रहा है. दुनिया की महाशक्ति भी कोरोना की चुनौती के सामने बेबस है.’’