ड्रोन हमले का डर लाल किले के सामने खड़े हुए कंटेनर

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमारा भारत महान इस 15 अगस्त से आजादी के 75वीं सालगिरह  वर्ष में प्रवेश करेगा. इस बार कंटेनर की दीवार के पीछे लाल किले की प्राचीर होगी जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों को संबोधित करेंगे. उनसे कोई यह भी नहीं पूछ पाएगा कि आपके और हमारे बीच यह दीवार कैसी है प्रधानमंत्री महोदय?’’ हमने कहा, ‘‘इस व्यवधान से विचलित मत होइए. आपको पीएम और राष्ट्रध्वज के दर्शन अवश्य होंगे. साथ ही बीच में खड़ा कंटेनर भी देखने को मिलेगा.

    उस कंटेनर पर टीवी कार्यक्रम के समान यह नहीं लिखा होगा- रुकावट के लिए खेद है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, स्वाधीनता प्राप्ति के बाद अनेक वर्षों तक प्रधानमंत्री पहले बिना किसी खास सुरक्षा के, फिर बुलेटप्रूफ केबिन से संबोधित करते थे- मेरे प्यारे देशवासियों…. अब इतिहास में पहली बार कंटेनर की आड़ लेकर पीएम राष्ट्र को संदेश देंगे. लाल किले की सुरक्षा के लिए विशालकाय कंटेनरों का सहारा लिया जा रहा है. किले के प्रवेश द्वार के पास एक के ऊपर एक रखे हुए कंटेनर की पूरी दीवार तैयार हो गई है. यह दीवार इतनी ऊंची है कि अब चांदनी चौक से पीएम को झंडा फहराते देखना संभव नहीं हो पाएगा.’’ हमने कहा, ‘‘यह सब पीएम की सुरक्षा की खातिर है. पाकिस्तान सीमा पर हुए ड्रोन हमले को देखते हुए ऐसी सुरक्षा व्यवस्था की गई है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कहीं ऐसा न हो कि आगे चलकर सुरक्षा एजेंसियां पीएम को अपने कक्ष में बैठकर ‘मन की बात’ के समान स्वाधीनता दिवस संबोधन करने को कहें. पीएम व लालकिले के सामने कंटेनर की दीवार होगी लेकिन सामने कुर्सियों पर बैठे मंत्रियों, राजदूतों को क्या बुलेटप्रूफ जैकेट पहननी पड़ेगी?’’ हमने कहा, ‘‘चप्पे-चप्पे पर सिक्योरिटी के रहते उन्हें कोई खतरा नहीं होगा. जहां तक कंटेनर के पीछे छुपने की बात है तो छुपने-छुपाने का सिलसिला कोई नया नहीं है. बच्चे भी खेलते हुए दरवाजे की ओट में छुप जाते हैं. जब हीरोइन छुपती है तो हीरो गाता है- छुपने वाले सामने आ, छुप-छुप कर मेरा जी ना जला, बादल से पवन, सूरज से किरण कब तलक छुपेगी ये तो बता!’’