मंत्रालय का रेस्तरां हुआ लाचार, कैसे करेगा कारोबार आज नगद कल उधार

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government)’के मुंबई स्थित मंत्रालय पर खाने-पीने की उधारी बाकी है. वहां के मुख्यमंत्री, मंत्री, राज्यमंत्री और सचिव के कार्यालयों ने भोजन, चाय, नाश्ते का बिल भरपूर बढ़ाया और उसका पैसा नहीं चुकाया. अब वहां के अधिकारियों और कर्मचारियों से वसूली के लिए सर्कुलर जारी किया गया है.’’ हमने कहा, ‘‘लोगों की साख भी कोई चीज है. हैसियतदार लोगों से पैसे का तकाजा करना अच्छी बात नहीं है.

पैसा कहीं भागा तो जा नहीं रहा, जब मन में आएगा, लोग खुद ही चुका देंगे.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, मंत्रालय का रेस्तरां सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा चलाया जाता है. जब मंत्री और सचिव स्तर के अधिकारियों की बैठक होती है तो यह सरकारी रेस्तरां ही खानपान की सेवा या कैटरिंग सर्विस प्रदान करता है. कई विभागों ने रेस्तरां (Restaurant) को बकाया भुगतान नहीं किया. इसलिए एक सप्ताह के भीतर रकम जमा करने को कहा गया है, नहीं तो खानपान की सेवा रोक दी जाएगी. आखिर कैन्टीन चलाने वाले को भी सामान लाना पड़ता है और स्टाफ की सैलरी देनी पड़ती है. पैसा नहीं मिलेगा तो धंधा कैसे चलेगा?’’ हमने कहा, ‘‘जहां तक खाने-पीने का मुद्दा है, आपने सुना होगा- यार-दोस्त किसके, माल खाए खिसके! आतिथ्य सत्कार को लेकर एक गीत है- बंबई से आया मेरा दोस्त, दोस्त को सलाम करो, रात को खाओ-पियो, दिन को आराम करो.

इतने बड़े मंत्रालय में मीटिंग के दौरान जलपान और आगंतुकों को चाय पिलाने के लिए रेस्तरां को आर्डर देना ही पड़ता है. इसका बिल बनना स्वाभाविक है पर पैसे के लिए इतनी हाय-हाय करने की क्या जरूरत है? पैसा तो हाथ का मैल है. कोई अपनी छाती पर रखकर पैसा नहीं ले जाता. इसके लिए जी-छुट्टेपना नहीं करना चाहिए. आगे-पीछे पैसा मिल ही जाएगा. कम से कम कोरोना काल में तकाजा नहीं करना चाहिए. रेस्तरां संचालक को खिलाने-पिलाने का अपना कर्म करना चाहिए, फल की आशा नहीं करनी चाहिए. उसकी किस्मत में होगा तो पैसा मिल जाएगा!’’ पड़ोसी ने कहा, निशानेबाज, ‘‘उधारी का मामला ऐसा ही होता है जिसमें आमतौर पर पैसे डूब जाते हैं. तकाजा करने पर सामने वाला ठसन से कहता है- तेरे पैसे लेकर भाग तो नहीं जाऊंगा. पैसा ही लेगा न, जान तो नहीं लेगा! जब हाथ में आएगा तो दे दूंगा. तकाजा करके दिमाग मत खराब कर.’’ हमने कहा, ‘‘इसीलिए लोग बोर्ड लगा देते हैं जिसमें लिखा रहता है- आज नगद, कल उधार!”