कभी खत्म नहीं होती आस नीतीश कैसे ले पाएंगे राजनीति से संन्यास

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) की आस टूट गई तो उन्होंने संन्यास लेने की बात कह डाली. उन्होंने गत 5 नवंबर को पूर्णिया की एक रैली में कह दिया कि यह उनका अंतिम चुनाव है. अंत भला तो सब भला! ऐसा कहकर उन्होंने इमोशनल कार्ड खेला.’’ हमने कहा, ‘‘इंसान के हृदय में भावनाओं का ज्वार उमड़ता रहता है, तभी तो गीत लिखा गया है- मन मा इमोशन जागे रे! नीतीश कुमार ने भावुकतावश संन्यास लेने की बात कह डाली. शायद उन्हें उम्मीद रही होगी कि ऐसी बात कहने से मतदाता सहानुभूति दिखाते हुए उनके पक्ष में वोट देंगे.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, संन्यास अपनी संस्कृति का पुराना अंग रहा है.

ब्रह्मचर्य, गृहस्थाश्रम और वानप्रस्थ के बाद संन्यास की बारी आती है. संन्यास लेनेवाले घर छोड़कर वन में रहने चले जाते थे और वहां भजन पूजन, तपस्या, योगाभ्यास करते हुए प्रभु के चिंतन में मग्न हो जाते थे. नीतीश भी यदि ऐसे ही नीति-नियमों का पालन करने की सोच रहे हैं तो अच्छी बात है.’’ हमने कहा, ‘‘राजनीति में ऐसा नहीं होता. आपको याद होगा प्रधानमंत्री मोदी ( Narendra modi) ने भी एक अवसर पर कहा था कि हम तो फकीर आदमी हैं, कभी भी झोला उठाकर चल देंगे. कहने और करने में बहुत फर्क होता है. राजनेता इतने विरक्त नहीं होते कि राजनीति की हरी-भरी बगिया छोड़, संन्यासी बनकर किसी जंगल में निकल जाएं. राज्य का विभाजन होने के बाद तो सारा जंगल झारखंड में चला गया. बिहार के पास बचा ही क्या? फिर संन्यास लेकर नीतीश कुमार आखिर किस जंगल में जाएंगे?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज संन्यास की पुरानी परिभाषा अब नहीं चलती.

कोई भी जंगल नहीं जाता क्योंकि जंगल सरकारी बन चुके हैं जहां किसी को एंट्री नहीं है. क्रिकेट खिलाड़ी भी जब संन्यास लेते हैं तो अलग-अलग चरणों में ऐसा करते हैं. वे पहले टेस्ट मैचों से संन्यास लेते हैं, बाद में वन डे मैचों से संन्यास की घोषणा करते हैं. इतने पर भी टी-20 खेलते रहते हैं क्योंकि वहां बहुत धन बरसता है. पहले संन्यास लेनेवाला व्यक्ति जटा-जूट बढ़ा लेता था और गेरूआ वस्त्र पहनकर निकल जाता था. वह परिवार से नाता तोड़ लेता था लेकिन संन्यास लेने वाला खिलाड़ी ऐसा नहीं करता, वह किसी कार्पोरेट का अधिकारी बन जाता है. जहां तक नीतीश कुमार का मामला है, वे भी राजनीति में बने रहेंगे. नीम के कीड़े को नीम हमेशा मीठी लगती है.’’