उद्धव सुस्त, राज चुस्त मंत्रालय का नया पता कृष्ण कुंज!

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पड़ोसी ने हमसे कहा ‘‘निशानेबाज(Nishanebaaz), मनसे नेता संदीप देशपांडे (Sandeep deshpande) ने एक मजेदार लेकिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav thackeray) के दिल को चुभने वाली बात कही है. उन्होंने ट्वीट किया है कि समस्या अनेक, उपाय एक, महाराष्ट्र के मंत्रालय का नया पता- राज ठाकरे, कृष्ण कुंज (Krushna kunj), शिवाजी पार्क, दादर, मुंबई-28.’’ हमने कहा, ‘‘राज ठाकरे तो सरकार में शामिल नहीं हैं, फिर उनका निवास मंत्रालय क्यों और कैसे कहलाएगा? उद्धव सरकार में शिवसेना के साथ एनसीपी और कांग्रेस शामिल हैं. राज ठाकरे(Raj thackeray) तो पिक्चर में ही नहीं आते!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, उद्धव ठाकरे कोरोना संकट में बाहर जाना टालते रहे.

बीजेपी नेता बार-बार उद्धव को मातोश्री से बाहर निकलकर काम करने की नसीहत देते रहे हैं. जहां तक राज ठाकरे का सवाल है, आपको उनकी महत्ता समझनी चाहिए. कोरोना काल में राज्य के सारे उद्योग-धंधे बंद थे. यद्यपि बाद में कुछ उद्योग शुरू किए गए लेकिन फिर भी सरकार ने कई व्यवसायों को शुरू करने की अनुमति नहीं दी थी. इस दौरान जिम संचालकों, मछली पालकों के संगठन ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के निवास पर जाकर अपना दुखड़ा रोया था. आखिर राज के प्रयासों से कई व्यवसायों के खुलने का मार्ग प्रशस्त हो गया. इस तरह राज ठाकरे दीन-दुखियों के संरक्षक और लोगों को न्याय दिलानेवाले साबित हुए. उन्होंने अत्यंत सार्थक पहल की और जरूरतमंदों का अटका हुआ काम करवा दिया. इसे कहते हैं सच्ची लीडरशिप!’’

हमने कहा, ‘‘एक समय ऐसा भी था जब राज ठाकरे को अपने चाचा बाल ठाकरे का स्वाभाविक राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था. वैसी ही बॉडी लैंग्वेज, वैसे ही हाव-भाव, वैसी ही आक्रामक और तीखी भाषण शैली! वे बिल्कुल अपने अंकल के नक्शे कदम पर थे. विरासत में शिवसेना का नेतृत्व उद्धव ठाकरे को मिला. यह बात अलग है कि उद्धव ठाकरे का व्यक्तित्व अपने पिता बाल ठाकरे जैसा तेज-तर्रार नहीं है जो डंके की चोट पर अपनी बात कहते थे. राज ठाकरे को अपनी अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनानी पड़ी. जनता के प्रश्नों और मांगों को लेकर संघर्ष करने की आग उनके भीतर है. उनके प्रयासों से लोगों को न्याय मिला. ऐसे ही नेता से लोग जुड़ते हैं जो उनके काम कराने की कूवत रखता है. इसीलिए संदीप देशपांडे ने मंत्रालय के नए पते के रूप में राज ठाकरे के बंगले के नाम का उल्लेख किया है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, क्या हम उम्मीद रखें कि अब लोग बड़ी तादाद में अपनी समस्या लेकर राज ठाकरे के यहां आएंगे? यदि यह सिलसिला चल पड़ा तो राज ठाकरे कह सकेंगे- मैं तो अकेला ही चला था जानिबे मंजिल अपनी, लोग मिलते गए, कारवां बनता गया!’’