बड़ा दुर्गम राजनीति का दुर्ग उसमें क्यों जाना चाहते हैं बुजुर्ग

    Loading

    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz) हम सोच रहे हैं कि राजनीति में चले जाएं. कितने ही वकील, डाक्टर, शिक्षक भी अपना पेशा छोड़कर जनसेवा की भावना से राजनीति के अखाड़े में उतर आए.’’ हमने कहा, ‘‘इतनी जल्दी क्या है? धैर्य रखिए. जब आप उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुंच जाएं तो अपने व्यापक अनुभव और ज्ञान की पूंजी लेकर राजनीति में जाने की सोचिएगा. उस समय तक आप काफी धन और नाम कमा चुके होंगे. आप पेशे से इंजीनियर रहे मेट्रोमैन ई. श्रीधरन (Metro Man  E Sreedharan) को देखिए, वे 88 वर्ष की उम्र में राजनीति में प्रवेश कर रहे हैं.

    उन्होंने दिल्ली मेट्रो बनाई, कोंकण रेलवे बनाई और अब उसी तरह केरल के मुख्यमंत्री भी बनना चाहते हैं. जैसे मेट्रो बिना आवाज के चलती है, वैसे ही बगैर शोर मचाए श्रीधरन ने अचानक बीजेपी में शामिल होकर चुनाव लड़ने का मानस व्यक्त कर दिया. बीजेपी को ऐसे ही नामी लोगों की तलाश रहती है जो अपने फील्ड में धुरंधर रहे हों. राजनीति तो वे बाद में भी सीख सकते हैं. सेना के जनरल वीके सिंह, मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौर (Rajyavardhan Singh Rathore) को बीजेपी राजनीति में लाई. महाराष्ट्र के कई शहरों में पुलिस कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह भी बीजेपी सांसद बने. 2014 के लोकसभा चुनाव में अभिनेता परेश रावल बीजेपी के टिकट पर चुने गए थे. सनी देओल भी तो बीजेपी के एमपी हैं. राजनीति में किसी भी फील्ड का आदमी चलता है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सवाल उम्र का है. अधिक उम्र हो जाने पर लोग मन और शरीर दोनों से थक जाते हैं, इसलिए यंग एज में राजनीति में शामिल हो जाना चाहिए.’’ हमने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है. 71 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री मोदी कितने सक्रिय हैं.

    अपनी स्फूर्ति में वे युवाओं को भी पीछे छोड़ देते हैं. इसी देश में 80 वर्ष की उम्र में चुस्त-दुरुस्त मोरारजी देसाई जनता पार्टी सरकार के प्रधानमंत्री बने थे. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Briden)और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी तो 78 वर्ष के हैं. बीजेपी को भी श्रीधरन के रूप में केरल में एक सम्मानित चेहरा मिला है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, केरल विधानसभा में बीजेपी की सिर्फ 1 सीट है. वहां कम्युनिस्टों का मोर्चा एलडीएफ या कांग्रेस का मोर्चा यूडीएफ सत्ता में रहता आया है. श्रीधरन को वहां कैसे सफलता मिलेगी?’’ हमने कहा, ‘‘कर्म करनेवाले फल की चिंता नहीं करते. इसके पहले देश के मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुके टीएन शेषन और मुंबई मनपा के मुख्य आयुक्त रह चुके जीआर खैरनार ने भी तो चुनाव लड़ा था. ऐसे आदर्शवादी हमेशा चुनाव हार जाते हैं. श्रीधरन को यह अनुभव भी तो लेने दीजिए.’’