मच्छर ने छोड़ दी शराफत CM की आफत अफसर की शामत

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) किसी प्राइवेट रेस्ट हाउस या रिसोर्ट में जाकर ठहर जाओ लेकिन किसी सरकारी या वीवीआईपी गेस्ट हाउस की ओर झांक कर भी मत देखना. गवर्नमेंट गेस्ट हाउस में इतनी बदइंतजामी रहती है कि वहां जानेवाला बौखला जाए. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को खुद इस अव्यवस्था का भुक्तभोगी बनना पड़ा. वे बस हादसे के मृतकों और घायलों के परिजनों को सांत्वना देने सीधी पहुंचे थे. दिनभर की थकान के बाद मुख्यमंत्री विश्राम के लिए वीवीआईपी गेस्ट हाउस में ठहरे.

    नेताओं और अधिकारियों से मिलना-जुलना खत्म होने के बाद जब शिवराजसिंह वीवीआईपी शयनकक्ष में सोने पहुंचे तो वहां उन्हें मच्छरों ने बुरी तरह काट लिया. मच्छरों की भनभनाहट से परेशान होकर उन्होंने रात ढाई बजे दवा का छिड़काव कराया. जैसे-तैसे साढ़े 3 बजे उनकी आंख लगी तो तड़के सुबह 4 बजे पानी की टंकी भरने के लिए मोटर चला दी गई. उसके इंजिन की आवाज इतनी तेज और कर्कश थी कि सीएम की नींद फिर खुल गई. वे खुद उठे और जाकर मोटर बंद की. उनको गुस्सा आना स्वाभाविक था. मुख्यमंत्री ने तुरंत गेस्ट हाउस के प्रभारी इंजीनियर को सस्पेंड (PWD Sub-Engineer Suspended) कर दिया.’’ हमने कहा, ‘‘एक नहीं, तमाम सरकारी गेस्टहाउस की यही हालत रहती है. वहां झाडू तक नहीं लगाया जाता. फर्श और फर्नीचर पर धूल जमी रहती है. छत और दीवारों पर मकड़ी के जाले लटके रहते हैं. बिस्तर में खटमलों का बसेरा रहता है.

    वहां का स्टाफ और सफाई कर्मचारी मुफ्त की तनख्वाह लेते हैं. किसी वीवीआईपी के आने की सूचना मिलती है तो आपाधापी में थोड़ी-बहुत सफाई की जाती है. यदि बगैर सूचना के वीवीआईपी अचानक पहुंच जाए तो उसे लगता है कि किसी भूतबंगले में आ गया. स्टाफ सोचता है कि जब कोई बड़ा नेता या अफसर बहुत दिनों तक आता ही नहीं तो क्यों रोज-रोज सफाई की जाए. स्वच्छता व मेन्टनेंस के पूरे पैसे खा लिए जाते होंगे. पानी भरनेवाली मोटर का बहुत दिनों तक इस्तेमाल नहीं होता तो उसमें भी जंग लग जाता होगा. जब शिवराजसिंह आए तो उन्होंने देखा कि उनके राज में वीवीआईपी गेस्ट हाउस की कैसी दुर्दशा बनी रहती है.’’