माली हो या ड्राइवर बन सकते हो कंपनी के डमी डायरेक्टर

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज(Nishanebaaz), कोई नाटक का डायरेक्टर रहता है तो कोई सिनेमा का! इसके अलावा कंपनियों और बैंक के डायरेक्टर भी हुआ करते हैं. हमारा भी मन करता है कि कहीं डायरेक्टर बन जाएं और लोगों को डायरेक्ट किया करें. हमें आप कोई आसान सा रास्ता बताइए जिससे हम डायरेक्टर बन सकें.’’ हमने कहा, ‘‘आप जमीन पर रहकर आसमान के ख्वाब देखने लगे. वन टू का फोर करना आता नहीं और चले डायरेक्टर बनने! एक जमाना था जब बॉलीवुड में महबूब खान (Mehboob Khan), वी शांताराम (V Shantaram), सोहराब मोदी, विमल राय, राज कपूर जैसे नामी डायरेक्टर हुआ करते थे.

सत्यजीत रे जैसे डायरेक्टर का नाम दुनिया भर में मशहूर है. यदि डायरेक्टर प्रतिभाशाली और कल्पनाशील हो तो उसकी फिल्म भी अच्छी बनती है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हमें फिल्म डायरेक्टर नहीं बनना, हमारी दिलचस्पी किसी कंपनी का डायरेक्टर बनने में है. कितनी ही कंपनियां ऐसी होती हैं जिनमें मित्रों और परिवार के सदस्यों को डायरेक्टर बना लिया जाता है. सब घर ही घर का मामला रहता है. जब जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो काम करते-करते अनुभव भी आ जाता है. हम सोच रहे हैं कि कहीं एक चेंबर किराए से ले लें और केबिन में ऊंचे हेडरेस्ट वाली चेयर पर बैठकर खुद को डायरेक्टर महसूस करने लगें. शेल्फ में कंपनी लॉ की किताबें सजा लेते हैं और डिक्टेशन देने के लिए एक सेक्रेटरी रख लेते हैं.’’ हमने कहा, ‘‘आपको इतनी खटपट करने की आवश्यकता नहीं है. आप यदि माली, आफिस ब्वॉय, क्लीनर, प्यून या ड्राइवर बन जाएं तो भी डायरेक्टर बनने का गोल्डन चांस मिल सकता है. आपको पता ही नहीं चल पाएगा कि आपको आपके मालिक ने किसी फर्जी कंपनी का डमी डायरेक्टर बना दिया. आपसे बड़ी-बड़ी रकमों के चेक साइन कराए जाएंगे.

आपका वेतन कम रहेगा लेकिन डायरेक्टर के रूप में आपके नाम से लाखों-करोड़ों का लेन-देन होता चला जाएगा.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम कुछ समझे नहीं कि आपका आशय क्या है?’’ हमने कहा, ‘‘अखबार पढ़िए तो सब समझ में आ जाएगा. आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक चंदा कोचर (Chanda Kochhar) के पति दीपक कोचर (Deepak Kochhar) और वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने अपने ड्राइवर, माली, आफिस ब्वॉय और जूनियर कर्मचारियों को कंपनी का डमी डायरेक्टर (Dummy director) बना रखा था. उनसे विभिन्न दस्तावेजों पर दस्तखत कराए जाते थे जिन्हें ठीक से देखने या पढ़ने की उन्हें अनुमति नहीं थी. फिर भी वे बोगस शेल कंपनियों के डायरेक्टर बने हुए थे. डायरेक्टर बनने का डायरेक्ट रास्ता इसे ही कहते हैं.’’