nishanebaaz-2 faces of the country in India and India right

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमारे संविधान में ‘इंडिया दैट इज भारत’ कह कर इंडिया को प्रमुखता या अग्रक्रम दिया गया है। देश के मूल नाम भारत को दुय्यम दर्जा दिया गया है। हम इसे 7 दशकों से कैसे बर्दाश्त कर रहे हैं?’’ हमने कहा, ‘‘चिंता मत कीजिए।

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, हमारे संविधान में ‘इंडिया दैट इज भारत’ कह कर इंडिया को प्रमुखता या अग्रक्रम दिया गया है। देश के मूल नाम भारत को दुय्यम दर्जा दिया गया है। हम इसे 7 दशकों से कैसे बर्दाश्त कर रहे हैं?’’ हमने कहा, ‘‘चिंता मत कीजिए। इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें मांग की गई है कि संविधान में संशोधन कर ‘इंडिया’ शब्द के स्थान पर ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ करने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया जाए। यह संशोधन देश के नागरिकों की औपनिवेशिक अतीत से मुक्ति सुनिश्चित करेगा। याचिकाकर्ता का कहना है कि अंग्रेज गुलामों को इंडियन कहते थे। उन्होंने ही हमारे देश को इंडिया नाम दिया। इंडिया नाम हटाने में सरकार की विफलता अंग्रेजों की गुलामी का प्रतीक है। प्राचीन काल से ही देश को भारत के नाम से जाना जाता था। अंग्रेजों की 200 साल की गुलामी से मिली आजादी के बाद अंग्रेजी में देश का नाम इंडिया कर दिया गया।’’ हमने कहा, ‘‘सच में देश के 2 चेहरे हैं। एक तरफ वह इंडिया है जिसमें अफसरशाही, उद्योग-व्यापार, शहरी जीवन, पब्लिक स्कूल, उच्च एवं मध्यम वर्ग है जबकि दूसरी तरफ भारत है जिसमें ग्रामीण, कृषि, मजदूर, गरीब और सरकारी स्कूल हैं। यह बड़ा भारी विरोधाभास है। देश का सामान्य या जमीन से जुड़ा आदमी भारत में रहता है लेकिन सुविधाभोगी सफेदपोश वर्ग के लिए यह देश इंडिया है।’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, देश का भारत नाम दुष्यंत और शकुंतला के प्रतापी पुत्र भरत के नाम पर पड़ा जो बचपन में खेल-खेल में शेर का जबड़ा खोलकर उसके दांत गिना करता था। वैसे भगवान राम के भाई का नाम भी भरत था। भागवत में जड़ भरत नामक ज्ञानी की कथा भी आती है। हमारा असली भारत किसानों और मजदूरों के रूप में रहता है जो अपने स्वेद बिंदुओं या मेहनत के पसीने से देश का निर्माण करते हैं। यह वर्ग अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए तरसता रह जाता है। किसानों का हक बिचौलिए खा जाते हैं और प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा तो सामने दिखाई दे ही रही है।’’ हमने कहा, ‘‘जब यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ही करेगा कि क्या इंडिया का नाम बदलकर भारत कर दिया जाना चाहिए। जब सिलोन का नाम बदलकर श्रीलंका, बर्मा का म्यांमार हो सकता है। मद्रास को चेन्नई, बाम्बे को मुंबई और गुड़गांव को गुरुग्राम नाम दिया गया तो इंडिया नाम हटाकर अब देश को भारत ही कहना उपयुक्त होगा। यदि सुको निर्देश देगा तो सरकार इस बारे में संविधान संशोधन करेगी।’’