विक्रम गंज रोहतास के चिकित्सा प्रभारी रामनारायण राम का गत 7 फरवरी को निधन हो गया।
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, एक समय नारा लगा था- बिहार में बहार है, नीतीशकुमार है। बिहार में कैसी बहार चल रही है, इसका पता इस खबर से चलता है कि वहां चिकित्सा पदाधिकारियों के तबादले में एक मुर्दे का भी तबादला कर उसे सिविल सर्जन बना दिया गया। विक्रम गंज रोहतास के चिकित्सा प्रभारी रामनारायण राम का गत 7 फरवरी को निधन हो गया।
8 फरवरी को अस्पताल कर्मियों ने शोकसभा का आयोजन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बावजूद बिहार के स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव अनिल कुमार ने हस्ताक्षर सहित आदेशपत्र जारी कर दिवंगत डाक्टर रामनारायण राम का तबादला कर उन्हें पदोन्नति दी और सिविल सर्जन बना दिया। समझ में नहीं आता कि यह कैसा अजूबा है!’’
हमने कहा, ‘‘इसमें न समझने जैसी कौन सी बात है? गणमान्य लोगों को मरणोंपरांत भारत रत्न, पद्मविभूषण दिया जाता है, अब यदि डाक्टर को मरणोपरांत सिविल सर्जन के रूप में प्रमोशन दे दिया तो इसमें बुरा क्या है?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कहावत है- जियत न डालें कौरा, मरे तो डालें चौरा! इसका अर्थ है कि किसी को जीते जी ठीक से खाना तक नहीं दिया और मरने के बाद उसके नाम से चारपाई दान की। उस डाक्टर को जीवनकाल में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का इंचार्ज बनाकर रखा और मरने के बाद जिले का सिविल सर्जन बना दिया। यह अंधेर नगरी चौपट राजा जैसी बात है।’’
हमने कहा, कितने ही लोगों को जीतेजी कुछ नहीं मिलता लेकिन मरणोपरांत कीर्ति मिलती है। इंसान का शरीर साथ छोड़ देता है लेकिन उसकी आत्मा अमर रहती है। डाक्टर की आत्मा को इस प्रमोशन से प्रसन्नता हो रही होगी। जब हेल्थ डिपार्टमेंट ने प्रमोशन दे ही दिया तो डाक्टर के परिजनों को उस हिसाब से पेंशन भी अधिक मिलनी चाहिए। वैसे यह सिस्टम की गड़बड़ी है कि फैसले लागू करने में असाधारण विलंब किया जाता है। इंसान को प्रमोशन तब मिलता है जब वह चल बसता है। ऐसी लचर कार्यप्रणाली कभी बदल ही नहीं सकती।’’