nishanebaaz-Dada Saheb Phalke Award For Rajinikanth Is Bad Political Timing

आपको मानना होगा कि मोदी हैं तो मुमकिन है!’’

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कहते हैं वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को नहीं मिलता. तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के साथ दक्षिण भारत के सुपरस्टार रजनीकांत के लिए सही वक्त आ गया. केंद्र सरकार ने टाइमिंग देखते हुए रजनीकांत को प्रतिष्ठासूचक दादासाहब फाल्के अवार्ड देने की घोषणा कर दी. वास्तव में तमिलनाडु ही नहीं, आंध्रप्रदेश व कर्नाटक जैसे राज्यों में भी अपार लोकप्रिय रजनीकांत जैसे प्रतिभाशाली अभिनेता को यह सम्मान बहुत पहले मिल जाना चाहिए था.’’

    हमने कहा, ‘‘सरकार का कारगर कदम समय देखकर ही उठता है. इस समय केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी को तमिलों का दिल जीतना है. तमिलनाडु में 6 अप्रैल को एक ही चरण में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. इसलिए केंद्र ने मौका साधकर चौका लगा दिया और फाल्के अवार्ड घोषित कर रजनीकांत के करोड़ों फैन्स का दिल जीत लिया. इसे कहते हैं सूझबूझ. आपको मानना होगा कि मोदी हैं तो मुमकिन है!’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, रजनीकांत 5 दशकों से रजतपट पर राज कर रहे हैं. उनकी हिंदी फिल्में अंधा कानून, हम, चालबाज, फूल बने अंगारे काफी चर्चित रहीं. उनकी रोबोट, शिवाजी द बॉस जैसी फिल्में हाल के  वर्षों में लोकप्रिय रहीं. उनका सिगरेट हवा में उछालकर मुंह में कैच करना और किसी गंजे के सिर पर माचिस की तीली रगड़कर सिगरेट सुलगाने का अनोखा अंदाज और कॉलर उठाकर गुंडों की पिटाई करने का स्टाइल दर्शकों को रोमांचित कर जाता है.

    एक बस कंडक्टर के रूप में अपनी जिंदगी की शुरुआत करने वाले शिवाजीराव गायकवाड़ आगे चलकर अभिनेता रजनीकांत बनकर लोगों के दिलों पर छा गए. जैसे हीरे की परख जौहरी जानता है, वैसे ही फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर ने रजनीकांत की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें फिल्मों में ब्रेक दिया था. ऐसे टैलेंटेड अभिनेता को फाल्के अवार्ड मिलना गौरव की बात है.”