नेताओं का घोटाले में यकीन हड़प लेते हैं जनता की जमीन

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज(Nishanebaaz) जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस(Congress) तीनों पार्टियों के नेता मंत्री और अधिकारी जमीन घोटाले में (Land scam) शामिल थे. उन्होंने खेती और जंगल की जमीन हथियाली. आखिर जमीन से इतना मोह क्यों होना चाहिए?’’ हमने कहा, ‘‘हर इंसान अपनी जमीन तलाशना चाहता है. जमीन से जुड़े नेता की हमेशा कद्र होती है. लंबी-चौड़ी जमीन जिसके पास होती थी, वह जमींदार कहलाता था. दुनिया के सारे युद्ध जर, जोरू या जमीन के लिए हुए. कृष्ण भगवान के समझाने पर भी दुर्योधन ने कहा था कि 5 गांव देना तो दूर रहा मैं बिना युद्ध के पांडवों को सुई की नोक के बराबर भी जमीन नहीं दूंगा.

आखिर इसी बात पर महाभारत का भीषण युद्ध होकर रहा जिसमें महाविनाश हुआ. लोग इसी जमीन में पैदा होते हैं और अंत में मिट्टी में मिल जाते हैं. कोई अपने साथ जमीन लेकर नहीं जाता.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज या तो उपजाऊ होती है या बंजर. उपजाऊ जमीन पर कब्जे के लिए परिवार के सदस्यों यहां तक कि भाई-भाई में विवाद होते देखे गए हैं. गरीब की जमीन दबंग छीन लेता है. बिमल राय ने इसी विषय पर ‘दो बीघा जमीन’ फिल्म बनाईं थी. आचार्य विनोबा भावे ने गरीबों और भूमिहीनों को जमीन दिलाने के लिए भूदान यात्रा निकाली थी और भूमपतियों को राजी किया था कि वे अपनी जमीन दान कर दें.’’ हमने कहा, ‘‘जमीन में बड़ी ताकत होती है. उसमें जैसा बोओगे, वैसा काटोगे. किसान के लिए उसकी जमीन ही सब कुछ है. मुंशी प्रेमचंद और रूसी लेखक मैक्सिम गोर्की ने जमीन से जुड़े किसानों-मजदूरों की कहानियां लिखी थीं. सरकार ने कानून भी बनाया था कि जो जोतेगा, जमीन उसकी. इसमें कितने ही भूमिहीन किसानों को न्याय मिला.’’ पड़ोसी ने कहा, निशानेबाज, बात जमीन घोटाले की हो रही है. लोग खेती की जमीन को ‘नॉन एग्रीकल्चर’ बनवा लेते हैं और फिर उस पर बंगला या कोठी बनवाते हैं. कुछ लोग गडे धन की तलाश में जमीन खोदते हैं.

आतंकवादी घुसपैठ करने के लिए जमीन के भीतर से सुरंग बनाते हैं. जमीन तो वही है लेकिन मिट्टी के अलग-अलग रंग होते हैं. कहीं मिट्टी लाल होती है तो कहीं काली. मुलतानी मिट्टी सौंदर्य निखारने के काम आती है. जमीन खोदने पर हीरा, सोना, खनिज, कोयला, लोहा, मैंगनीज आदि मिलता है. अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर की रंगून में अंग्रेजों की ‘कैद’ में मैत हुई. उन्होंने गजल लिखी थी- दो गज जमीन भी न मिली कूचे यार में, लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में.’’ हमने कहा, जमीन को लेकर एक शेर और भी है- हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, किसी को जमीं तो किसी को आसमां नहीं मिलता.’’