nishanebaaz-former minister married at the age of 15

वे चाहते हैं कि लड़कियां सिर्फ 15 वर्ष उम्र में ब्याह दी जाएं.

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने दुर्जन जैसी बात कही है. जमाना कितना बदल गया लेकिन उनकी दकियानूसी सोच 100 साल पुरानी है. वे चाहते हैं कि लड़कियां सिर्फ 15 वर्ष उम्र में ब्याह दी जाएं. शायद उनके परिवार में अब भी ऐसा ही रिवाज चला आ रहा होगा. मुगल शासनकाल में जब लड़कियों के अपहरण का भय था, तब मां-बाप बेहद कम उम्र में बेटियों का बाल विवाह कर दिया करते थे. अब बाल विवाह अपराध है.

18 वर्ष की उम्र के पहले तक लड़की नाबालिग मानी जाती है. सज्जनसिंह पूर्व मंत्री होने के बावजूद सरासर गैरकानूनी बात कर रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल किए जाने की बात पर वर्मा ने कहा कि जब लड़कियां 15 साल की होने पर प्रजनन लायक हो जाती हैं तो शादी की उम्र 21 साल करने की क्या जरूरत है?’’ हमने कहा, ‘‘इस पूर्व मंत्री को समझना चाहिए कि लड़कियों को भी लड़कों के समान पढ़ने-लिखने और अपने पैरों पर खड़े होने का हक है.

इसलिए ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट होते तक उनकी आयु 21 वर्ष को पार कर जाती है. योग्य वर खोजने मे भी 2-3 साल लग जाते हैं. लड़कियां मेडिकल, इंजीनियरिंग, लॉ, सीए, आर्किटेक्ट की पढ़ाई करने लगी हैं. वर्मा यदि अपने नामानुरूप सचमुच सज्जन हैं तो लड़कियों की उड़ान और उनका खुला आकाश क्यों छीनना चाहते हैं? 15-16 वर्ष की उम्र में मातृत्व का बोझ लाद देना बहुत बड़ा अत्याचार है. यह तो किसी कली को फूल बनने से पहले ही मसल देने का कुकृत्य है. विकसित देश में ऐसा तंग नजरिया रखना मूर्खतापूर्ण है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सही बात है. लड़कियां सिर्फ एक के बाद एक संतानों को जन्म देने और चूल्हा-चौका करने के लिए ही नहीं हैं. आधी दुनिया को उसका हक मिलना चाहिए. पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से ओतप्रोत नारी ही परिवार, समाज व देश को आगे बढ़ा सकती है. 10वीं की परीक्षा पास करने से पहले ही किशोरावस्था में लड़की का विवाह कर देना नादानी है.

ऐसी ही कुएं के मेंढक जैसी घटिया सोच के चलते प्रतिवर्ष मध्यप्रदेश व राजस्थान के कुछ इलाकों में धड़ल्ले से बाल विवाह होते हैं और कानून कुछ नहीं कर पाता. जब ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ नारे के सर्वथा विपरीत पूर्व मंत्री वर्मा ऐसे कुंठित विचार रखते हैं तो उनके क्षेत्र की सामान्य जनता की सोच क्या होगी! ऐसे लोगों का दिमाग दुरुस्त किए जाने की जरूरत है.’’