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हमने कहा, ‘‘इसे कहते हैं सच्ची आस्था! जाकी रही भावना जैसी!

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की सूझबूझ का क्या कहना! उन्होंने पूरी दुनिया में ड्रैगन फ्रूट के नाम से मशहूर फल का नाम बदलकर ‘कमलम’ रख दिया. उन्होंने कहा कि ड्रैगन फ्रूट कमल जैसा दिखता है, इसलिए उन्होंने उसे यह नाम दिया.’’ हमने कहा, ‘‘इसे कहते हैं सच्ची आस्था! जाकी रही भावना जैसी!

गुजरात के सीएम को हर जगह अपनी पार्टी बीजेपी का चुनाव चिन्ह कमल ही दिखता है. वैसे उन्होंने सफाई दी कि फल का नाम बदलने के पीछे कोई भी राजनीतिक कारण नहीं है. रुपाणी के इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फिल्मों के संवाद लेखक जावेद अख्तर ने कहा कि शानदार! पहले शहरों के नाम और अब फल भी!’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ‘‘ड्रैगन फ्रूट के ड्रैगन शब्द से चीन की याद आती थी. इसलिए उसका नाम बदलना ठीक ही हुआ. वैसे कमल नाम से भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रतीक जुड़े हुए हैं. धन की देवी लक्ष्मी कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. उन्हें कमला भी कहा गया है. भगवान विष्णु कमलनयन कहलाते हैं. विष्णु की नाभि से निकले कमल पर सृष्टिकर्ता ब्रम्हा विराजमान हैं. इसीलिए विष्णु को पद्मनाभम कहा जाता है. उनके हाथों में शंख, चक्र व गदा के अलावा पद्म या कमल है.

कमल विशुद्ध भारतीय फूल है. बीजेपी विपक्षी दलों की सरकार गिराने के लिए आपरेशन लोटस चलाती है. इसके विपरीत गुलाब के फूल को देखिए जो मुगलों को बहुत प्रिय था. नूरजहां ने गुलाब के इत्र का आविष्कार किया था और पं. नेहरू अपनी अचकन या शेरवानी के बटन होल में नियमित रूप से लाल गुलाब का फूल लगाया करते थे.’’

हमने कहा, ‘‘इधर बीजेपी का प्रिय फूल कमल है तो उधर अमेरिका की उपराष्ट्रपति का नाम भी कमला हैरिस है. कमल वाली पार्टी जरूर उन्हें भारत आमंत्रित करेगी. वैसे कमल के फूल की एक खासियत है कि भौंरा उस पर मंडराता है और उसी में कैद होकर दम तोड़ देता है. लकड़ी को भी तोड़ सकने वाला भ्रमर कमल के प्रति इतना मोहग्रस्त हो जाता है कि उसकी कोमल पंखुड़ियों को नहीं भेद पाता.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कमल कीचड़ या पंक में पैदा होता है इसलिए पंकज भी कहलाता है. अब यही कमल बंगाल के चुनाव में वहां के ताल-तलैया और पोखरों तक फैलने की फिराक में है.’’