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‘ये हैं इंदौर के सांसद. इन्हें नेताजी सुभाषचंद्र बोस का नाम तक नहीं मालूम.’

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कितने आश्चर्य की बात है कि इंदौर के बीजेपी सांसद शंकर लालवानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर ताव-ताव में भाषण देने तो गए लेकिन वे मंच पर जाकर नेताजी का नाम ही भूल गए. उन्होंने कह दिया कि हम चंद्रशेखर बोस की जयंती मना रहे हैं. इस पर श्रोता हक्के-बक्के रह गए. इसे लेकर कांग्रेस ने अपने टि्वटर अकाउंट पर सांसद लालवानी का वीडियो साझा करते हुए लिखा- ‘ये हैं इंदौर के सांसद. इन्हें नेताजी सुभाषचंद्र बोस का नाम तक नहीं मालूम.’

इस बारे में आपकी क्या प्रतिक्रिया है?’’ हमने कहा, ‘‘बीजेपी सांसद को क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद और नेताजी सुभाषचंद्र के नामों में कन्फ्यूजन हो गया. उन्होंने दोनों का नाम आपस में जोड़कर चंद्रशेखर बोस नाम कर दिया.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यह अत्यंत हास्यास्पद है. सांसद को भाषण देने से पहले पूरी जानकारी हासिल कर ढंग से तैयारी कर लेनी चाहिए थी. नेताजी सुभाषचंद्र बोस का नाम देश का बच्चा-बच्चा जानता है, सांसद लालवानी इससे अनजान कैसे रह गए?’’

हमने कहा, ‘‘बीजेपी और आरएसएस के लोगों को स्वाधीनता संग्राम से जुड़े सेनानियों से क्या मतलब! आरएसएस स्वाधीनता के आंदोलन से पूरी तरह दूर रहा. उसे गांधी का नेतृत्व सख्त नापसंद था. संघ अपने हिंदुत्व, सांस्कृतिक उत्थान और शाखाओं तक ही सीमित रहा. अब कुछ वर्षों से बीजेपी ने उन राष्ट्रीय विभूतियों को हाईजैक करना शुरू कर दिया जिनसे उसका कभी कोई संबंध नहीं था. संघ पर बैन लगाने वाले सरदार पटेल की मोदी सरकार ने स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से विशाल प्रतिमा बनाई.

अब नेताजी सुभाषचंद्र बोस को भी बीजेपी अपना बनाने में लगी है लेकिन अफसोस कि उसके सांसद को दिमाग पर जोर देने के बावजूद वक्त पर नेताजी का नाम ही याद नहीं आया.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आखिर बीजेपी अपने लिए महापुरुष लाए भी तो कहां से? कहीं न कहीं से जुगाड़ तो करना ही पड़ेगा. नेहरू छोड़कर वह किसी को भी अपना बनाने और बताने में पीछे नहीं रहेगी.’’

हमने कहा, ‘‘बीजेपी को इधर-उधर देखने की क्या जरूरत! वह डा. केशव बलिराम हेडगेवार, गुरुजी गोलवलकर, डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और दीनदयाल उपाध्याय के जीवन चरित्र से अपना काम चला सकती है. उसे रवींद्रनाथ टैगोर और सुभाष बाबू से इतना प्रेम जताने की क्या जरूरत?’’ हमने कहा, ‘‘जरूरत बहुत अधिक है क्योंकि सामने बंगाल विधानसभा का चुनाव है!’’