पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, अब पति अपनी पत्नी से छुपा नहीं पाएंगे कि उन्हें कितनी सैलरी मिलती है.
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, अब पति अपनी पत्नी से छुपा नहीं पाएंगे कि उन्हें कितनी सैलरी मिलती है. पूरा हिसाब हो जाएगा कि पति ने खाने-पीने, दोस्तों के साथ मटरगश्ती, शौक-पानी या अय्याशी में कितनी रकम खर्च कर डाली क्योंकि सैलरी का आंकड़ा पत्नी की जानकारी में होगा.’’ हमने कहा, ‘‘क्या पत्नी किसी जासूस या भेदिए के जरिए पता लगा लेगी कि पतिदेव को कितना वेतन मिलता है? वह इस रहस्य को कैसे जान पाएगी? क्या किसी तांत्रिक-मांत्रिक या ज्योतिषी से मदद लेगी?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, ऐसा कुछ भी नहीं है. पत्नियों की मदद के लिए केंद्रीय सूचना आयोग आगे आया है. कितने ही पति अपनी पत्नी को कम सैलरी होने की बात कहकर बेवकूफ बनाते हैं और घर में कम पैसा देकर बाकी रकम अपने शौक या व्यसन में उड़ा देते हैं. अब ऐसे लोगों का इलाज हो जाएगा. सरकारी विभाग में काम करने वाले पति की सैलरी जानने के लिए पत्नियों के कई आवेदन उन विभागों में पड़े हुए हैं. अब केंद्रीय सूचना आयोग या सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन ने कहा है कि मानवता के आधार पर व्यक्तिगत कही जाने वाली ऐसी जानकारियों को आवेदक के साथ साझा करने में कुछ गलत नहीं है. पारिवारिक कलह होने पर पति या पत्नी अपने पार्टनर के झूठ या बेवफाई का पता लगाने के लिए आरटीआई कानून का इस्तेमाल कर रहे हैं.’’ हमने कहा, ‘‘पत्नी वैसे भी होशियार होती है. वह पूरे अधिकार के साथ पति की जेबें टटोल लेती है. रिश्वतखोर अफसरों की पत्नियां नियमित रूप से पति की तलाशी लेकर पता लगाती हैं कि वे कितनी ऊपरी कमाई लेकर आए. कुछ पत्नियां पति के बुक-शेल्फ में रखी किताबें भी टटोल लेती हैं कि कहीं उसमें नोट छुपाकर तो नहीं रखे? जासूसी में महिलाओं की छठी इंद्रिय काम करती है. पति का झूठ उनकी पारखी नजरों से छिप नहीं सकता.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पत्नियां बहुत दूरदर्शी होती हैं. वे किचन में किसी जगह या दाल-चावल के डिब्बे में नोटों का लिफाफा छुपाकर रख देती हैं. जब नोटबंदी हुई थी तो 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोट बदलवाते समय पत्नी की यह बचत सामने आ गई थी. पति अपनी कमाई छुपाता है तो पत्नी भी अपनी उम्र और बचत दोनों छुपाती है. वहां कोई आरटीआई काम नहीं करता.’’