नहीं पूरी हो पा रही तमन्ना महाराष्ट्र सरकार पर उखड़े अन्ना

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), समाजसेवी अन्ना हजारे (Anna hazare) ने महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी (Mahavikas aghadi government) सरकार को चलती का नाम गाड़ी कह दिया. साथ ही यह भी कहा कि जब तक चल रही है ठीक है, रुक गई तो खटारा साबित होगी. इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?’’ हमने कहा, ‘‘अन्ना काफी समय बाद बोले. नेता हो या समाजसेवी, यदि चुप्पी साध ले तो जनता उसे भूल जाती है. इसलिए कभी-कभी बयानबाजी करके सुर्खियों में रहना चाहिए. अन्ना का असली नाम किशनराव बाबूराव हजारे है. वे भारतीय सेना में ड्राइवर थे और हवलदार रैंक तक पहुंचे थे.

अब ड्राइवर को गाड़ी की याद आएगी ही. होशियार ड्राइवर गाड़ी से निकलने वाले साउंड से समझ जाता है कि कौन सा पुर्जा गड़बड़ है या कहां खराबी है. अन्ना को ठाकरे सरकार की गाड़ी डिफेक्टिव नजर आ रही है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जब अपने मन की बात पूरी न हो तो ऐसे ही भड़ास निकाली जाती है. अन्ना का एकसूत्री एजेंडा है- लोकायुक्त की नियुक्ति, जिसे लेकर उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के कई मंत्रियों को पत्र लिखे लेकिन मुख्यमंत्री को छोड़कर किसी ने उनके पत्र का जवाब नहीं दिया. उन्हें राज्य के संतुलित विकास, किसानों की बेहाली, कोरोना आपदा के दुष्प्रभाव, बढ़ती बेरोजगारी, मराठा आरक्षण आदि मुद्दों से कोई मतलब नहीं! अन्ना हजारे ‘मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई’ की तर्ज पर सिर्फ लोकपाल और लोकायुक्त की धुन ही छेड़ते रहते हैं.

सरकार ने लोकायुक्त नियुक्त नहीं किया तो उनकी नजरों में चलती का नाम गाड़ी बन गई.’’ हमने कहा, ‘‘अन्ना का तात्पर्य समझने की कोशिश कीजिए. इस सरकार का स्टीयरिंग शिवसेना के हाथों में है जबकि क्लच और ब्रेक एनसीपी और कांग्रेस को मान लीजिए. शायद अन्ना ने अपनी जवानी के दिनों में किशोर कुमार और मधुबाला की कॉमेडी फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ देखी होगी, तभी तो उन्हें यह नाम याद आ गया. बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए महाविकास आघाड़ी की सरकार बनी है. 2019 में बनी सरकार जिस तरीके से चल रही है, उसे देखते हुए उसके रुकने और खटारा होने का कोई चांस ही नहीं है. इसमें पवार का पावर जो है. सत्ता के स्वार्थ के पाने ने सारे नट-बोल्ट मजबूती से कस दिए हैं. तीनों पार्टियों में से कोई एक दूसरे का साथ छोड़ना नहीं चाहती. शिवसेना का हिंदुत्व और राका-कांग्रेस का सेक्युलर चिंतन पूरे सहअस्तित्व के साथ इस गाड़ी पर सवार है. अन्ना ने खुद ही भरे मन से स्वीकार कर लिया है कि वर्तमान राजनीति सत्ता और धन पर केंद्रित है. जो हकीकत है, वह सबके सामने है.’’