उत्तरप्रदेश के कैराना नगर में दूल्हा मस्त और मौलवी सख्त जैसी स्थिति देखी गई.
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, उत्तरप्रदेश के कैराना नगर में दूल्हा मस्त और मौलवी सख्त जैसी स्थिति देखी गई. हुआ यूं कि ही घर की 2 बेटियों की शादी के लिए 2 भाइयों की बारात आई. लड़के वाले जैसे ही बारात लेकर लड़की वालों के घर पहुंचे, दोनों दूल्हों के साथ सभी बाराती डीजे बजाकर गाड़ी पर चढ़कर डांस करने लगे. बाद में नव निकाह पढ़वाने का समय आया तो मोहल्ले की ईदगाह वाली मस्जिद के इमाम कारी सूफियान ने बारात में डीजे बजाने पर नाराजगी जताते हुए निकाह पढ़ाने से साफ मना कर दिया. मौलवी को बहुत मनाया गया लेकिन वह नहीं माने. आखिर में दूसरे मौलाना को बुलाकर दूल्हा-दुल्हन को निकाह पढ़वाया गया.’’
हमने कहा, ‘‘अपनी शादी की उमंग में दूल्हे का नाचना स्वाभाविक है. डीजे की धुन से माहौल ही ऐसा बन जाता है कि कदम थिरकने लगते हैं. हर बारात में बाराती नाचते हैं. ऐसे मौके पर बांका, छैला बीला, रंग-रंगीला दूल्हा भी डांस करने लगता है. खुशी और मौज-मस्ती के माहौल में सब चलता है. हमने तो कुछ बारातों में दूल्हे ही नहीं, उसके बाप को भी नाचते देखा है.
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज्, कुछ लोगों का दावा है कि इस्लाम में संगीत और नाच गाने पर मनाही है. इसे कुफ्र माना जाता है. इमाम कारी सूफियान भी ऐसा ही विचार रखते होंगे इसलिए उन्हें दूल्हे का नाचना बिल्कुल पसंद नही आया. जब लड़की वालों ने इस मामले को लेकर पंचायत बुलाई तो वहां पहुंचे जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना ताहिर ने कारी सूफियान के फैसले क तारीफ की और सभी से अपील की कि अगर किसी भी शादी में डीजे बजाया जाए तो कोई भी मौलाना निकाह न पढ़ पाए. आगे से लोग शादियों में डीजे नहीं बजवाएं और सदगी से निकाह करें.
हमने कहा, ‘‘वैसे तो बादशाह अकबर भी अपने दरबार में तानसेन का संगीत सुनते थे. उस्ताद बड़े गुलाम अली खां का नाम संगीत की दुनिया में मशहूर हैं. नौशाद का संगीत और मोहम्मद रफी के गीत लोग सुनते रहे हैं लेकिन अब जमाना डीजे की फडकदार धुनों का है. इस डीजे पर मौलवी का एतराज है. उनसे पूछा जा सकता है कि क्या शहनाई चलेगी या वो भी नहीं.