पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी की वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री व मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एलान किया है कि वे यमुना किनारे कुटिया बनाकर रहेंगी.
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी की वरिष्ठ नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री व मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एलान किया है कि वे यमुना किनारे कुटिया बनाकर रहेंगी. आपकी इस बारे में क्या राय है?’’ हमने कहा, ‘‘उमा भारती साध्वी हैं. जब वैराग्य की भावना प्रबल हो उठती है तो साधु या साध्वी किसी निर्जन स्थान में कुटी बनाकर रहने की सोचते हैं. जब विरक्ति उत्पन्न हो जाए तो बंगले-कोठी में रहने की आसक्ति नहीं रह जाती. राजनीति की मोह-माया से दूर होकर उमा भारती किसी छोटी-सी कुटिया में रहने लगेंगी. सोचिए कितना महान त्याग है!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, उमा भारती का यह कैसा विचित्र फैसला है? कुटिया में न बिजली होगी, न पानी का नल, न फैन, न एसी, न टीवी! ऐसे में वे कैसे वहां रह पाएंगी?’’ हमने कहा, ‘‘सच्चे साधु-संत सुविधाओं का त्याग कर देते हैं. महात्मा गांधी सेवाग्राम की बापू कुटी में रहते थे. जहां मन लग जाए, वहीं अच्छा लगने लगता है. भगवान राम ने भी नाशिक की पर्णकुटी में निवास किया था. कल्पना कीजिए कि उमा भारती अपनी कुटिया को गोबर से लीपेंगी. अपने आराध्य की आराधना और भजन-पूजन करेंगी. चूंकि उनकी कुटिया यमुना किनारे होगी, इसलिए वे भजन गा सकती हैं- यमुना के तीरे-तीरे ठुम्मक-ठुम्मक धीरे-धीरे, नाचे नंदलाला रे, मदन गोपाला रे. वे चाहें तो शास्त्रीय संगीत वाला गीत भी सुन सकती हैं- चलो मन गंगा-जमुना तीर, गंगा-जमुना निर्मल पानी, शीतल होत शरीर, चलो मन गंगा-जमुना तीर.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, उमा भारती को गंगा सफाई मंत्रालय दिया गया था. उन्हें तो गंगा से प्रेम रहना चाहिए, फिर यमुना किनारे कुटिया बनाकर क्यों रहना चाहती हैं? वैसे तो वे राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी थीं इसलिए सरयू तट पर भी बसने की सोच सकती थीं.’’ हमने कहा, ‘‘भगवान कृष्ण की प्रिय यमुना का भी तो शिव की जटाओं से निकली गंगा में संगम हो गया. आपने पुरानी फिल्म बैजू बावरा का गीत सुना होगा- तू गंगा की मौज, मैं जमुना का धारा, रहेगा मिलन ये हमारा तुम्हारा. यमुना तट और वंशी वट पर भगवान कृष्ण रासलीला किया करते थे. वैष्णव लोग चुनरी-मनोरथ करके यमुना मैया को लंबी सी चुनरी चढ़ाते हैं. मथुरा में यमुना तट पर हर शाम आरती होती है. उमा भारती ने धार्मिक प्रवचन किए, राजनीति में रहकर सत्ता सुख भोगा, अब उनका मन पुन: धर्म-अध्यात्म में लग गया है. यमुना तट वासी होकर वे भगवान का ध्यान करेंगी. वृंदावन के कृष्ण कन्हैया के गुण गाएंगी. चूंकि राजनीति में अंगूर खट्टे हैं, इसलिए उन्होंने अपने जीवन की सार्थक दिशा तय कर ली है.’’