पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, गर्मी के मौसम में पारा चढ़ता ही जा रहा है। हमारे दफ्तर में बॉस का पारा भी गर्म रहता है। जब पुलिस का पारा गर्म होता है तो वह मजदूरों को भगाने के लिए लाठी से पीटती है।
पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, गर्मी के मौसम में पारा चढ़ता ही जा रहा है। हमारे दफ्तर में बॉस का पारा भी गर्म रहता है। जब पुलिस का पारा गर्म होता है तो वह मजदूरों को भगाने के लिए लाठी से पीटती है। बताइए कि इस पारे को कैसे नियंत्रित किया जाए?’’ हमने कहा, ‘‘सारी दुनिया के वैज्ञानिक कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए टीका या दवा खोजने में लगे हैं और आप पारा कंट्रोल करने की बात करते हैं। इस समय विश्व की सबसे बड़ी समस्या कोरोना है।’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पारा भी तो कोरोना की पहचान से जुड़ा है। यदि शरीर का तापमान 98.4 डिग्री फैरनहाइट से ऊपर चला जाए तो संदेह होता है कि कहीं उसे कोरोना तो नहीं है? कोशिश कीजिए कि आपका पारा गर्म न होने पाए!’’ हमने कहा, ‘‘कुछ लोग बड़े ठंडे-ठंडे कूल-कूल होते हैं तो कुछ बदमिजाज और गुस्सैल लोगों का पारा हमेशा चढ़ा रहता है। हमें याद आता है कि पहले पारा नापने का थर्मामीटर पतला सा आता था जिसके भीतर पारे की लकीर रहती थी। इसे देखने में थोड़ी दिक्कत जाती थी। लोग पहले उसे केस से निकालकर और थोड़ा झटककर तापमान लेते थे। कोई बगल में 2 मिनट दबाकर तापमान लेता था तो डाक्टर मरीज को मुंह में जीभ के नीचे थर्मामीटर रखकर टेम्प्रेचर का पता लगाते थे।’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बाद में पतला थर्मामीटर मोटा होता चला गया और उसमें साफ-साफ पारे की लकीर दिखने लगी। इसके बाद माथे पर पट्टी के समान चिपकाने वाला थर्मामीटर भी आ गया।’’ हमने कहा, ‘‘यह सब भूल जाइए। आजकल कोरोना की थर्मल स्क्रीनिंग करने वाला थर्मामीटर किसी छोटी हैंडगन के आकार का है। उसे किसी को टच नहीं कराना पड़ता बल्कि सामने खड़े व्यक्ति के माथे की ओर पिस्तौल की तरह तान देने से उसमें डिजिटल फार्म में टेम्परेचर आ जाता है। यह बेहद आसान और सुविधाजनक है। पुराने थर्मामीटर के समान इसे पानी से धोना भी नहीं पड़ता। पारे वाले पुराने थर्मामीटर को भूल जाइए जिसके फूट जाने पर कांच चुभने का डर रहता था। साथ ही उसका पारा भी जहरीला हुआ करता था।’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जिस तरह पारे की गोली छूने से पकड़ में नहीं आती और दूर छिटकती है, वैसे ही कोरोना की वजह से लोग आपस में दूरियां बनाए हुए हैं। पारे को और बुध ग्रह को अंग्रेजी में मर्क्युरी कहा जाता है।’’