वही तासीर, वही अंदाज कांग्रेस आलाकमान का अभी भी पुराना मिजाज

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से कहा कि वे पार्टी में आंतरिक चुनाव कराने को लेकर किया गया अपना वादा पूरा करें.’’ हमने कहा, ‘‘कपिल (Kapil sibal) को धैर्य रखना चाहिए. सोनिया को रिमाइंडर देने की क्या जरूरत थी? जब उचित समय आएगा तो चुनाव हो जाएंगे. नहीं भी हुए तो कौन सा फर्क पड़ता है! अभी बाहरी चुनावों से फुरसत नहीं है तो आंतरिक चुनाव क्यों कराएंगे? बंगाल और तमिलनाडु के चुनाव सामने हैं. दिल्ली की सीमा पर किसान डटे हुए हैं.

ट्रैक्टर रैली निकालने की तैयारी है. ऐसे व्यस्त माहौल में वादा याद दिलाने की क्या आवश्यकता थी? महाराष्ट्र में पंचायत चुनाव के नतीजे आए नहीं कि सिब्बल नई पंचायत करने बैठ गए.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आपको वादे का महत्व समझना चाहिए. राजा दशरथ ने प्राण देकर भी कैकयी से अपना वादा निभाया. भगवान राम ने भी कहा- ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई.’ सोनिया गांधी ने पार्टी में आंतरिक चुनाव का वादा किया था तो उसे झटपट निभाएं. अपने संकल्प और वचन पर अटल रहना चाहिए.’’ हमने कहा, ‘‘आपको मालूम होना चाहिए कि राजनीति में सिर्फ हवाई वादे किए जाते हैं, निभाए नहीं जाते! सही और गलत के बीच ‘राजनीति’ ठिठक जाती है. वहां कोई ऐसा कमिटमेंट नहीं होता कि कसमें-वादे निभाएंगे हम. जुबान हिलाई, वादा कर दिया और फिर उसे भूल गए. कोई यह कहकर हरगिज न टोके कि जो वादा किया, वो निभाना पड़ेगा. कपिल सिब्बल बड़े वकील हैं. वे जानते हैं कि कोर्ट में तारीख पे तारीख होती है. कुछ मामलों का फैसला तो 20-20 साल तक नहीं हो पाता. वादी-प्रतिवादी बड़े धैर्य से प्रतीक्षा करते हैं.

एक उत्साही नौजवान वकील ने अपने सीनियर वकील पिता से कहा, ‘‘डैडी आप जिस केस को 20 साल से लटकाए थे, उसका मैंने एक पेशी में ही फैसला करवा दिया. बुजुर्ग वकील ने बेटे को डांटते हुए कहा कि इसी केस के भरोसे मैं इतने वर्षों से कमाई कर रहा था, तुमने फैसला करवा के सब गुड़गोबर कर दिया. मामले को लटकाए रखने में ही वकील की कुशलता है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यदि ऐसी बात है तो क्या कांग्रेस में चुनाव होंगे ही नहीं? क्या यह सिर्फ गांधी-नेहरू की पार्टी बनी रहेगी?’’ हमने कहा, ‘‘पार्टी को अपनी परंपरा और मूल स्वरूप से समझौता नहीं करना चाहिए. गांधी नाम के पुराने ब्रांड से पार्टी की गुडविल या साख जुड़ी हुई है, इसलिए कोई चुनाव की मांग करते हुए यह न कहे- वादा तेरा वादा, वादे पे तेरे मारा गया, बंदा ये सीधा-सादा.’’