सरकारी कर्मियों के कपड़े तो ठीक कार्य कुशलता के भी निर्देश हों

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), सरकारी कर्मी (Maharashtra Government) अपनी आदतों में नहीं ला पाए सुधार उनपर आया नया भार, अब रहेगा ड्रेस कोड़ (Dress code) का आधार!’’ हमने कहा, ‘‘तुक बंदी मत कीजिए बल्कि साफ-साफ बताइए कि मामला क्या है और कितना गंभीर या गौर करने लायक है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड़ (Formal clothes) लागू किया गया है. अब सरकारी दफ्तरों में काम करनेवाले अधिकारी व कर्मचारी जीन्स और टी शर्ट पहनकर ऑफिस नहीं आ सकेंगे. ये सब कैजुअल ड्रेस हैं जिन्हें घर में रहते हुए, छुट्टी के दिन या चहलकदमी करते हुए पहना जा सकता है.

जीन्स-टी शर्ट व चप्पल पहनकर आना ऑफिस की डिग्निटी या गरिमा के अनुरुप नहीं है. दफ्तर में फार्मल ड्रेस पहनकर आना चाहिए.’’ हमने कहा, ‘‘ड्रेस कोड तो ठीक है लेकिन कर्मचारियों की कार्यकुशलता को लेकर भी निर्देश दिए जाने चाहिए जो कि ज्यादा महत्वपूर्ण है. सरकारी कर्मचारी मन लगाकर फुर्ती से काम करें. अधिकतम कुशलता का परिचय दें. यथासंभव काम पेंडिंग न रखें. सरकारी दफ्तर में आनेवाले लोगों को जबरदस्ती चक्कर न कटवाएं. उनकी सहायता व सहयोग का रूख अपनाएं. सही मार्गदर्शन करें. सरकारी नीति व नियमों का पूरी तरह पालन करें और भ्रष्टाचार से दूर रहें. ऐसा हो जाए तो फिर कहना ही क्या!’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, एक समय में एक ही कदम उठाना ठीक रहता है.

पहले सरकार अपने अधिकारियों-कर्मचारियों का हुलिया दुरुस्त कर रही है. जीन्स और टी शर्ट के अलावा रंगीन नक्काशी या चित्रों के साथ गहरे रंग के कपड़े पहनने से भी मना किया गया है. पुरुष कर्मचारी शर्ट, पैंट पहनकर आफिस आएंगे जबकि महिला कर्मचारियों को साडी, सलवार चूडीदार, ट्राउजर पैंट, कुर्ता या शर्ट पहनना होगा. पोशाक भड़कीली न होकर साफ और सुव्यवस्थित होनी चाहिए. इसके अलावा राष्ट्रीय भावना का विचार करते हुए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को सप्ताह में एक बार शुक्रवार के दिन खादी पहननी चाहिए. आप तो जानते हैं कि खादी सिर्फ वस्त्र नहीं बल्कि एक विचार है जो हमारे स्वाधीनता संग्राम और देशभक्ति का स्मरण कराता है.’’ हमने कहा, ‘‘अधिकारी-कर्मचारी सभी को कामकाज में कुशलता, ईमानदारी, परिश्रम का भी अविलंब निर्देश दिया जाना चाहिए. यदि सरकारी कर्मचारी प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों जैसी तत्परता और मेहनत का परिचय दें तो बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है.’’