पेट्रोल-डीजल गैस के दामों में वृद्धि, देश में बढ़ गई समृद्धि देखो सरकार की सुबुद्धि

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, (Nishanebaaz) इसमें कोई शक नहीं कि देश में समृद्धि बढ़ गई है. पेट्रोल-डीजल के दाम बेतहाशा बढ़ते रहने पर भी पेट्रोल पम्प (Petrol, Diesel Prices) पर लोगों की भीड़ कम नहीं हुई है. अभी फिर गैस सिलेंडर के दाम और 50 रुपए बढ़ा दिए गए. कभी 550 रुपए में आने वाला सिलेंडर अब 800 रुपए से भी ज्यादा महंगा हो गया है. सरकार को लगता है कि बढ़े हुए दामों पर लोग हर चीज खरीदने में सक्षम हैं.’’ हमने कहा, ‘‘जनता गरीब की गाय है, जिसे दाम बढ़ा-बढ़ाकर निचोड़ा जा रहा है. देश में आज भी करोड़ों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं. बेरोजगारी चरम पर है.

    कितने उद्योग-धंधे बंद हो चुके हैं. स्कूली शिक्षकों के वेतन में कटौती हुई है क्योंकि कोरोना काल (Corona Crisis) में स्कूल बंद रहे और पालकों से पूरी फीस वसूल नहीं हो पाई.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आपकी सोच हताशाजनक है. प्रधानमंत्री के मन की बात नियमित रूप से सुना कीजिए तो आपका मनोबल बढ़ेगा. इस सरकार ने लोगों को संदेश दे रखा कि इकोनामी को मजबूती देना है तो पैसा खूब खर्च करो. मनी का सर्कुलेशन होता रहेगा तो अर्थव्यवस्था में जान आ जाएगी. पैसा इस हाथ से उस हाथ में खेलना चाहिए. अब वह जमाना गया जब कुछ कंजूस लोग दांत में पैसा दबाकर रखते थे और बहुत सोच-विचार के बाद बुनियादी जरूरत की चीजें खरीदते थे. अब अपनी इकोनामी गांधीवादी किफायत व सादगी की सोच पर नहीं चलती. नोट पर छपे गांधी कहते हैं कि बेटा दिल खोलकर खर्च कर! महर्षि चार्वाक ने भी तो कर्ज लेकर घी पीने का संदेश दिया था.

    पहले लोग चादर देखकर पैर फैलाते थे लेकिन अब कपड़े के पूरे थान में भी उनके अरमान नहीं समाते. भूल जाइए कि यह गांधी-नेहरू का देश है. अब यह अंबानी-अदानी का समृद्ध मुल्क है. यहां के बंदरगाह और एयरपोर्ट को अदानी डेवलप कर रहे हैं. अब कोई बुजुर्ग ‘जुग-जुग जियो’ का आशीर्वाद नहीं देता क्योंकि अंबानी के जियो का जमाना आ गया है.’’ हमने कहा, ‘‘आप सही कहते हैं. अर्थव्यवस्था को मोदी, शाह और निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के चश्मे से देखना पड़ेगा, तभी उसकी इंद्रधनुषी छटा दिखाई देगी. विदेशी निवेशकों ने इंडियन इकोनामी पर पूरा भरोसा जताया है, तभी तो 1981 में लांच होने के बाद से सेंसेक्स एवरेस्ट की ऊंचाई पर जा पहुंचा है. शेयर मार्केट ने इतने वर्षों में 13.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की रिटर्न दी है. अर्थव्यवस्था के उजले पहलू देखिए. यह मत देखिए कि कौन भूखा-नंगा है, बाकी सब चंगा है!’’