ब्रिटिश विरासत नहीं सहन मोदी बनवाएंगे नया संसद भवन

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज(Nishanebaaz), प्रधानमंत्री मोदी (Narendra modi) इतिहास पुरुष हैं. जिस तरह कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार (Qutub Minar) बनवाई, शाहजहां ने ताजमहल और लाल किला बनवाया, वैसे ही मोदी नया संसद भवन ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के नए निवास, नया केंद्रीय सचिवालय बनवाने (New Parliament Complex) जा रहे हैं. इस तरह इतिहास में उनका नाम अमर हो जाएगा. आने वाली पीढ़ियां सदियों तक उनका नाम याद रखेंगी.’’ हमने कहा, ‘‘इतिहास तो मुहम्मद तुगलक को भी याद करता है जो अचानक फैसला लेकर राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद ले गया था और सारे दिल्लीवासियों को रातों रात दौलताबाद चले जाने का शाही फरमान सुनाया था. दिल्ली में नया निर्माण कई हजार करोड़ रुपए की लागत से होगा.

यह रकम देश के टैक्सपेयर की जेब से जाएगी.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि संसद की वर्तमान इमारत, नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, राष्ट्रपति भवन, सेंट्रल सेक्रेटेरिएट वगैरह सब अंग्रेजों के जमाने की इमारतें हैं, जिन्हें ल्यूटन और हर्बर्ट बेकर ने बनाया था. भले ही यह सारी इमारतें अत्यंत भव्य और काफी मजबूत हैं लेकिन यह विदेशी गुलामी की याद दिलाती हैं. जिस तीन मूर्ति भवन में प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू 17 वर्ष तक रहे, वह भी पहले ब्रिटिश सेनापति का निवास हुआ करता था. आप प्रधानमंत्री मोदी की दिल खोलकर सराहना कीजिए जो राष्ट्रवाद और भारतीय सांस्कृतिक गौरव के अनुरूप सब कुछ नया बनाना चाहते हैं.

कितने हर्ष की बात है कि उन्होंने नए संसद भवन का भूमिपूजन भी कर दिया.’’ हमने कहा, ‘‘क्या संसद भवन की वर्तमान इमारत या राष्ट्रपति भवन कमजोर हो गए थे जो नया निर्माण जरूरी हो गया? क्या ऐसा निर्णय लेते समय धरोहर संरक्षण समिति की अनुमति ली गई? गुजरात की एक कंपनी को सर्वाधिक ऊंची बोली लगाने पर भी क्यों निर्माण का ठेका दिया गया?’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, व्यर्थ के सवाल मत उठाइए. यह सरकार सवाल-जवाब में वक्त बरबाद नहीं करती, बल्कि जैसा मन में आता है, वैसा फैसला तत्काल करती है. याद कीजिए, नोटबंदी का एलान कैसे अचानक किया गया था! कोई पूर्व सूचना न देते हुए सिर्फ 4 घंटे की नोटिस पर लॉकडाउन लगाया गया था, जिससे लाखों प्रवासी मजदूरों को कितनी परेशानी झेलनी पड़ी. किसान बिल भी कितनी तेजी से संसद में पास कराए गए. हमारे महान प्रधानमंत्री की यही कार्यशैली है. उनमें निर्णय लेने की ऐसी हिम्मत है जो इंदिरा गांधी को छोड़कर देश के किसी पूर्व प्रधानमंत्री में नहीं थी. वे व्यर्थ की चर्चा में समय नहीं गंवाते. विपक्ष में दम नहीं है जो उनके रास्ते में अड़ंगा डाले! इस तरह उनके शासन में भारत का महान लोकतंत्र नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है.’’