दिवाली पर बोनस का खुमार कोरोना की भूले मार बाजार हुए गुलजार

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), बाजार में दिवाली (Diwali festival)की खरीदारी के लिए उमड़ पड़ी भीड़ को देखते हुए लगता है कि जनता पूरी तरह निर्भीक हो गई है. कोरोना(Coronavirus) का कोई डर ही नहीं रह गया है. लोग बेधड़क खुली सड़क पर निकलकर मार्केट में धक्कम-धक्का कर रहे हैं. कोई 2 गज की दूरी या सोशल डिस्टेंसिंग (Social distancing) के प्रति गंभीर नजर नहीं आता.’’ हमने कहा, ‘‘अपना भारत उत्सवमय देश है. उत्सव पर उत्साह नहीं आएगा तो कब आएगा! त्यौहार पर सभी के लिए उपहार खरीदने ही पड़ते हैं. इसके अलावा शॉपिंग का शौक बड़ी चीज है.

इससे दिल बहलता है और मन की आत्मिक संतुष्टि मिलती है. आपको खुश होना चाहिए कि बाजार में जितनी रौनक आएगी, उतनी ही इकोनॉमी में तेजी आएगी. ग्रोथ के लिए जरूरी है कि पैसा बाजार में खेले, इस हाथ से उस हाथ जाए.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जिन लोगों के हाथों में तनख्वाह और बोनस आ गया है, वे तो परिवार के लिए खरीदारी करेंगे ही. बच्चों की फरमाइश भी पूरी करनी ही पड़ती है. त्यौहार पर बाजार का आकर्षण बढ़ जाता है. कपड़े, सजावट का सामान, नई-नई चीजें, गाड़ी, फर्नीचर, पर्दे, कुशन, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, मोबाइल, टीवी, फ्रिज, व्हाइट गुड्स सभी का मार्केट गुलजार है. बाजार में बहार है. दुकानों और शोरूम में तिल रखने की भी जगह नहीं है.’’ हमने कहा, ‘‘चीन से इतनी शत्रुता के बाद भी लोग चीन की लाइटिंग, डेकोरेशन का सामान और तमाम तरह की चीजें खरीदने से पीछे नहीं हट रहे हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘जिन भारतीय व्यापारियों ने पहले ही चीनी माल का स्टॉक जमा कर लिया था, उसे तो निकालना ही है.

घर में थोड़े ही रखेंगे. इसके अलावा इंडिया में दुनिया के सारे देशों का माल आसानी से खप जाता है. यहां जापानी, कोरियाई, जर्मन, इटालियन, अमेरिकन हर कंपनी की कार आपको मिल जाएगी. मार्केट में विविधता इतनी है कि एसी शोरूम में ब्रांडेड से लेकर फुटपाथ पर सस्ते कपड़े तक बिक रहे हैं. अमीर से लेकर गरीब तक सभी अपने-अपने तरीके से दिवाली की तैयारी में जुटे हैं. महिलाएं गृहलक्ष्मी होती हैं. उनकी खरीदारी में विशेष रुचि रहती है. स्वर्ण और साड़ी का आकर्षण उन्हें सदैव बना रहता है. परिवारजनों का भी वे विशेष ख्याल रखती हैं. बच्चों को पटाखे जरूर चाहिए, चाहे कम आवाज के ही क्यों न हों. इसीलिए भर गया है मार्केट का कोना-कोना, अब नहीं रह गया कोरोना का रोना-धोना!’’