हंस ने किया ‘रेल रोको’ हंसिनी के प्रति प्रेम की मिसाल देखो

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज (Nishanebaaz), अपने जीवनसाथी के प्रति असीम प्रेम और वफादारी की मिसाल जर्मनी के कैसल शहर में एक हंस (Swan) ने पेश की. वहां हंसों का एक जोड़ा रेल लाइन पर आ गया जहां हाई टेंशन तार की चपेट में  आने से हंसिनी की मौत हो गई तो दूसरा हंस शोकग्रस्त होकर वहीं रेल पटरी पर बैठा रहा. इस वजह से 23 ट्रेनें विलंब  (23 German trains) से चलीं. बड़ी मुश्किल से उस हंस को पकड़कर पास की नदी में छोड़ा गया.’’

हमने कहा, ‘‘इस घटना से हमें फिल्म गंगा-जमुना का गीत याद आ गया- दो हंसों का जोड़ा बिछुड़ गयो रे, गजब भयो रामा जुलुम भयो रे! उस विरही हंस का दिल पुकार रहा होगा- ओ मेरी हंसिनी…’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, उस अकेले हंस ने रेल रोको आंदोलन कर दिया जबकि अपने यहां ऐसा आंदोलन करने के लिए दर्जनों लोग लगते हैं. इंसान के समान ही पशु-पक्षियों में भी भावना और संवेदना होती है. यदि कोई बंदर का बच्चा मर जाए तो भी बंदरिया उसे अपने शरीर से चिपकाए रहती है. कोई हाथी मर जाए तो हाथियों का सारा झुंड इकट्ठा होकर शोक मनाता है. वैसे ही नाग-नागिन के जोड़े का भी किस्सा है. यदि किसी ने नाग को मार दिया और नागिन बच निकली तो कहते हैं कि वह बदला जरूर लेती है. नाग का हत्यारा कहीं भी जाकर छुप जाए, उससे बच नहीं पाता. वह उसे खोज ही लेती है.’’ हमने कहा, ‘‘प्राणी जगत के किस्से निराले हैं. मोर को ही देखिए, जो सबसे सुंदर पक्षी कहलाता है और वर्षा के काले बादल आने पर पंख फैलाकर मोरनी को आकर्षित करने के लिए छम-छम नाचता है.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जहां तक हंस की बात है, वह सरस्वती का वाहन है. उनकी अभ्यर्थना करते हुए गाते हैं- हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अम्ब विमल मति दे.  लोग हंस को कार्तिकेय का वाहन भी मानते हैं. हंस मानसरोवर झील में पाया जाता है. आपने शादी-ब्याह की निमंत्रण पत्रिका में यह पंक्ति पढ़ी होगी- भेज रहे स्नेह निमंत्रण, प्रियवर तुम्हें बुलाने को, ओ मानस के राजहंस तुम भूल ना जाना आने को. वास्तुशास्त्र में हंसों के जोड़े की तस्वीर नवविवाहित युगल के बेडरूम में लगाना बहुत शुभ होता है. एक पुरानी धारणा है कि हंस में नीर-क्षीर या दूध और पानी अलग कर देने की क्षमता है. आज तक इसकी वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है. यदि सच में ऐसी बात है तो दूध में पानी की मिलावट परखने के लिए लैक्टोमीटर की आवश्यकता नहीं रहेगी. इसके लिए हंस ही काफी है!’’