विकास दुबे एनकाउंटर: यूपी पुलिस को मिलनी ही थी क्लीन चिट

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कानपुर के बिकरू गांव में दबिश देने आए 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद फरार हुए कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे को जब उज्जैन से यूपी पुलिस वापस ला रही थी तब रास्ते में तेज बारिश के दौरान गाड़ी पलट गई थी. गैंगस्टर ने पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की और पुलिस पर गोली चलाई तो पुलिस की जवाबी गोलीबारी में उसकी मौत हो गई. यह सारा किस्सा फिल्मों के समान था. एनकाउंटर ऐसे ही हुआ करते हैं.’’ हमने कहा, ‘‘यूपी की योगी सरकार न्यायप्रिय है. उसने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बीएस चौहान की अध्यक्षता में त्रिसदस्यीय जांच आयोग गठित किया था. 

    आयोग ने 8 महीने जांच के बाद यूपी सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें पुलिस को क्लीन चिट दे दी गई. आयोग ने कहा कि राज्य पुलिस के गलत काम करने का कोई सबूत नहीं मिला. पुलिस के दावों को चुनौती देने कोई गवाह सामने नहीं आया.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, पुलिस कोई सबूत बाकी ही नहीं रखती. जहां गाड़ी पलटी या पलटाई गई, उस सुनसान जगह पर कोई गवाह कैसे रहता! यदि रहता भी तो पुलिस के खिलाफ गवाही देने की बेवकूफी नहीं करता. यूपी में योगी सरकार ने अपने तरीके से क्राइम कंट्रोल किया है. 

    योगी का सीधा आदेश रहा है- ठोंक दो! किसी गैंगस्टर के खिलाफ सबूत व गवाह जुटाने और उसे गिरफ्तार कर कोर्ट तक ले जाने की प्रक्रिया काफी लंबी है. वहां तारीख पर तारीख मिलती है. गैंगस्टर या अपराधी बेदाग छूट जाता है. यूपी में यह समस्या अत्यंत गंभीर है. पुलिस से कहा गया कि हथियार सिर्फ दिखाने के लिए नहीं हैं, जरूरत पड़ने पर उनका इस्तेमाल भी किया जाए. ‘ठोंक दो’ की छूट मिलने पर यूपी में काफी शांति आ गई. गुंडे-बदमाश समझ गए कि अब उनकी खैर नहीं है! मुलायम व मायावती के शासन में जो संगठित अपराध फैला था, उसका योगी ने इलाज कर दिया. पुलिस को क्लीन चिट मिलनी ही थी. त्रस्त व भयभीत जनता को भी इससे राहत मिली.’’