ashok gahlot
अशोक गहलोत

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    जयपुर: राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने बहुप्रतीक्षित राजनीतिक नियुक्तियों की शुरूआत करते हुए सोमवार को 33 निकायों में 196 नगर पालिका व नगर परिषद सदस्यों का मनोनयन किया।उल्लेखनीय है कि राज्य में लगभग 30000 राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं और विशेषकर पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायक लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं।

    स्वायत्त शासन विभाग की ओर से जारी सूची के अनुसार 33 निकायों में सदस्यों का मनोनयन किया गया है। इनमें जयपुर-शाहपुरा नगर पालिका में छह, प्रतापगढ़ नगर परिषद में आठ, धौलपुर-राजाखेड़ा नगर पालिका में छह, बारां की अंता नगरपालिका में छह, मांगरोल नगरपालिका में दो, बूंदी के नैनवा नगर पालिका में छह, डूंगरपुर नगर परिषद में आठ, सागवाड़ा नगर पालिका में छह,पाली नगर परिषद में तीन, बाड़मेर नगर परिषद में आठ और बालोतरा नगर परिषद में तीन सदस्य मनोनीत किए गए हैं।

    वहीं, उदयपुर की सलूंबर नगरपालिका में छह, सरवाड़ नगरपालिका में छह, केकड़ी पालिका में छह, विजयनगर पालिका में छह, खेड़ली पालिका में छह, भीनमाल पालिका में छह, कुचामनसिटी पालिका में छह, नावा पालिका में छह, मंडावा पालिका में छह, खेतड़ी पालिका में छह और बग्गड़ पालिका में छह सदस्य मनोनीत किए गए हैं।

    बीदासर पालिका में छह, रतननगर पालिका में छह, सरदारशहर पालिका में छह, कपासन पालिका में छह, संगरिया पालिका में छह, पीलीबंगा पालिका में छह, रावतसर पालिका में छह, नाथद्वारा पालिका में चार, परबतसर पालिका में छह, राजसमन्द नगर परिषद में आठ और सुजानगढ़ नगर परिषद में आठ सदस्य मनोनीत किए गए हैं।

    उल्लेखनीय है कि राजस्थान में जिला स्तर पर विभिन्न निगमों व बोर्ड में लगभग 30 हजार राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं जो किसी न किसी कारण से लगातार टल रही हैं। जिला स्तर पर राजनीतिक नियुक्तियों के लिए इस साल 9-10 फरवरी तक नाम मांगे गए थे। तब कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने कहा था, ‘‘हम लोगों की कोशिश रहेगी कि जिला स्तर पर जो बोर्ड व निगम हैं जहां लगभग 25 से 30 हजार राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं, इसकी कार्रवाई हम फरवरी के पहले पखवाड़े में पूरा कर लें।” 

    लेकिन उसके बाद विधानसभा का बजट सत्र व विधानसभा की तीन सीटों पर उपचुनाव के चलते मामला टल गया। पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट व उनके समर्थक विधायक लगातार इन नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं। पिछले हफ्ते ही पायलट खेमे के विधायक वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया ने अशोक गहलोत द्वारा मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में देरी को लेकर सवाल खड़े किए और नियुक्तियां जल्द करने की मांग की।

    उल्लेखनीय है कि राज्य में इन नियुक्तियों को लेकर लगभग ढाई साल से, गहलोत सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस तरह की नियुक्तियों से सत्तारूढ़ पार्टी अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को उपकृत करती है।