CHIRAAG

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पटना. बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhansabha Elections) का तूफ़ान फिलहाल थोडा रुक गया है, क्योंकि अब आने वाले 10 नवम्बर को चुनाव परिणाम की सुनामी आने वाली है। सुनामी इसीलिए क्योंकि इस बार कुछ बड़े उलटफेर की आशंका है। अगर बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) से संबंधित शनिवार को आए कई एग्जिट पोल (Exit Poll) को देखें तो इनके अनुसार राजद नीत विपक्षी महागठबंधन को सत्तारूढ़ एनडीए (NDA) पर बढ़त मिलती दिख रही है।

कम से कम तीन एग्जिट पोल में महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान लगाया गया है। जिससे उन्होंने नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए का सियासी खेल जरूर बिगड़ गया है। आखिर हो भी क्यों ना क्योंकि लोक जनशक्ति पार्टी की कमान संभाल रहे चिराग पासवान ने नीतीश ‘सुशासन बाबू’ का खेल थोडा बिगाड़ा या जटिल कर दिया है।

LJP के चिराग पासवान (Chirag Paswaan) ने अकेले चुनावी मैदान में उतरकर, ‘बिहारी स्वाभिमान’ का ऐसा सियासी दांव खेला कि CM नीतीश कुमार की सत्ता की कुर्सी के पाए जरुर हिला दिए हैं। आज अगर LJP बीजेपी-जेडीयू के साथ मिलकर चुनावी मैदान में खेलने उतरती तो प्रदेश की तस्वीर में यह चुनाव NDA के पक्ष में नजर आता। 

क्या कहता है एग्जिट पोल:

अधिकतर एग्जिट पोल में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) नीत जद (यू) की सीटों की संख्या में कमी आने और राजद को 243 सदस्यीय विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की भविष्यवाणी की है। वहीं इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एक्जिट पोल में महागठबंधन को 139-161 सीटें और राजग को 69-91 मिलने का अनुमान लगाया गया है। इसने अलावा लोजपा को 3-5 सीटें और अन्य के लिए भी 3-5 सीटों का अनुमान लगाया गया है। एबीपी-सीवीओटर एग्जिट पोल के अनुसार राजग को 104-128 सीटें और विपक्षी महागठबंधन को 108-131 सीटें मिल सकती हैं। इसमें चिराग पासवान नीत लोजपा को 1-3 सीटें मिलने का अनुमान है।

टाइम्स नाउ-सीवोटर के अनुसार राजग को 116, विपक्षी महागठबंधन को 120 और लोजपा को एक सीट मिल सकती है। रिपब्लिक टीवी-जन की बात के एक्जिट पोल ने भी राजद नीत गठबंधन को 128 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत दिया है वहीं उसने सत्तारूढ़ राजग को 104 सीटें तथा लोजपा को सात सीटें मिलने का अनुमान लगाया है।

टीवी9 भारतवर्ष ने राजग को 115 सीटें, महागठबंधन को 120 और लोजपा तथा अन्य को चार-चार सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। मतों के संदर्भ में टुडेज चाणक्य ने विपक्षी गठबंधन को 44 प्रतिशत और राजग को 34 प्रतिशत मत मिलने का अनुमान लगाया है। हालांकि, एबीपी-सीवीओटर ने राजग को 37।7 प्रतिशत, महागठबंधन को 36।3 प्रतिशत और अन्य को 26 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान लगाया है।

JDU का खेल बिगाड़ा चिराग पासवान ने: 

गौरतलब है कि चिराग के मनमुताबिक सीटें न मिलने से बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने NDA से जुदा अपना रास्ता चुना। इस चुनाव में LJP ने 135 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। वहीं अधिकाँश प्रत्याशी ही JDU के खिलाफ दंगल में नजर आए। लेकिन इनमे से  गोविदंगज, लालगंज, भागलपुर, राघोपुर, रोसड़ा और नरकटियागंज सीट जैसी सीट ऐसी थी जिस पर LJP प्रत्याशी बीजेपी के खिलाफ भी चुनाव लड़ रहे थे। 

LJP ने बिगाड़ा खेल CM नीतीश कुमार का:

अब अगर एग्जिट पोल की माने तो बिहार में भले ही LJP को महज 3 से 5 सीटें ही मिलती दिख रही हों, लेकिन इस छोटे से ‘चिराग’ ने दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर BJP के बागी नेताओं को कैंडिडेट बनाकर नीतीश कुमार की चुनावी बिसात को पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया है। LJP के रास्ते अलग होने से JDU को सीटों पर नुकसान जो हुआ सो हुआ ही। लेकिन इसके चलते  पासवान उपजाति वोट NDA 31% और LJP 30% में बंट गए। इसके साथ ही चिराग ने महादलितों और आर्थिक रूप से पिछड़े वोटों में भी बढ़िया से सेंध लगाई। इन दोनों जगहों सेLJP को 8-8 % वोट मिलने का अनुमान है। जिससे नीतीश कुमार को काफी नुकसान हो सकता है। 

 LJP ने नीतीश के 30-40 सीटों का किया नुकसान:

अगर हम सबके एग्जिट पोल को गौर से देखें तो इस बार के बिहार विधान सभा चुनाव में 30 से 40 सीटों पर LJP ने JDU को मार लगायी है। अब अगर यह दोनों साथ होते तो बीजेपी से ज्यादा सीटें JDU के पास होतीं। वहीं अगर विभिन्न एग्जिट पोल के अनुसार LJP के वोट शेयर को आप NDA के साथ जोड़कर देखें तो यह 46 % होता है, जो कि महागठबंधन के वोट शेयर से 2 % ऊपर होता है। अगर यह हो पता तो यही 2% वोट इस विधानसभा चुनाव में सत्ता बनाने या बिगड़ने की शक्ति रखता।

क्या ख़ास किया तेजस्वी यादव ने: 

इधर महागठबंधन के सीएम प्रत्याशी तेजस्वी यादव ने पहली कैबिनेट में ही दस लाख बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देने का वादा कर चुनावी गणित में अपना हाथ बुलंद कर लिया। इसके साथ ही उनका समान काम के लिए समान वेतन का नारा भी काम कर गया।

चिराग का दांव, तेजस्वी के बढ़े भाव :

वैसे तो बिहारी स्वाभिमान के नाम पर चिराग पासवान ने जिस तरह से नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और माहौल बनाया, वो भी तेजस्वी के पक्ष में गया क्योंकि चिराग जैस आक्रमण इस मुद्दे पर तेजस्वी भी नहीं कर पाए।

पिता राम विलास से अलग सोच रखते दिखे चिराग:

गौरतलब है कि चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान का राजनीतिक समय शत-प्रतिशत केंद्र में गुजरा था। जिसके चलते वे बिहार पर अपनी नजर बना के नहीं रख सके। लेकिन इस चुनाव में चिराग पासवान ने पिता के इस हाशिये को भरते दिखे और बिहार की राजनीति को गंभीरता से लेते हुए अपनी जगह बनाते हुए यहाँ के तमाम मुद्दों को उठाया। इसके साथ ही NDA में रहते हुए उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ आक्रोश को कैश करने का फैसले कर लिया और फरवरी के आते आते उन्होंने बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट का कॉन्सेप्ट भी तैयार कर लिया, जिसमें बिहार के आम लोगों की जरूरतों को देखते हुए कई पहलुओं को शामिल किया गया था।

इसके साथ ही चिराग, नीतीश सरकार की कार्यप्रणाली और अफसरशाही पर सवाल उठाने लगे। इस तरह देखा जाए तो चिराग पासवान ने CM नीतीश कुमार के चुनावी रथ को जरुर नुकसान पहुँचाया है। यह नुकसान कितना है यह तो आगामी 10 नवम्बर को ही पता चलेगा।