पटना. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) (LJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की पार्टी जदयू (JDU) से गठबंधन तोडने के निर्णय का बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में राजग में सीटों की साझेदारी से कोई संबंध नहीं है तथा मुख्यमंत्री ने महादलित का गठन कर दलित समुदाय को नुकसान पहुंचाया है।
चिराग ने “भाषा” को साक्षात्कार के दौरान आरोप लगाया कि नीतीश ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए दलितों के बीच से महादलित का गठन कर इस समुदाय के बीच फूट डालने का काम किया। उन्होंने कहा कि इसका उनके पिता और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान हमेशा विरोध करते रहे।
चिराग ने कहा, “यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि लोजपा कभी भी नीतीश की राजनीति की प्रशंसक नहीं रही है। मेरी राजनीतिक शुरूआत देखिए… पिता जी का लंबा राजनीतिक करियर रहा है… 2005 से ही हमलोग नीतीश जी के विरोध में रहे हैं । 2005, 2010 और 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव को ले लें तो हर चुनाव हमलोगों ने उनके खिलाफ ही लडा था”।
लोजपा प्रमुख ने कहा, “लोजपा ने पिछला लोकसभा चुनाव नीतीश द्वारा रातोंरात महागठबंधन से नाता तोडकर की गई राजग में वापसी के कारण मजबूरीवश जदयू के साथ लडा था”।
उन्होंने दावा किया कि जदयू के नेताओं ने पिछले लोकसभा चुनाव में गठबंधन धर्म का पालन न कर लोजपा के खिलाफ काम किया था। हाल में ही रामविलास पासवान का निधन हुआ। उन्हें याद करते हुए 37 वर्षीय चिराग ने कहा, “मुझे सबसे अधिक दुख राज्यसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के मेरे पिता जी के साथ किए गए व्यवहार को लेकर हुआ था।”
लोजपा प्रमुख ने दावा किया कि उस समय रामविलास पासवान को राज्यसभा के लिए नामांकन के वास्ते नीतीश को अपने साथ बिहार विधानसभा ले जाने के लिए मुख्यमंत्री आवास तक जाना पडा था।
उन्होंने कहा कि उनके पिता ने काफी अनुरोध किया। चिराग ने कहा कि इस सब के बावजूद नामांकन के लिए शुभ मुहूर्त का समय निकल जाने के बाद नीतीश आखिरी पांच मिनट में वहां (नामांकन स्थल) पहुंचे।
उन्होंने कहा, ‘‘उस दिन से मुझे इस बात का दुख था कि आज आपके (नीतीश के) पास वर्चस्व और ताकत है तो आपने उसका पूरा इस्तेमाल किया।” चिराग ने यह भी कहा, ‘‘एक पुत्र के नाते पिता तथा देश के इतने बडे कद्दावर नेता का किसी के समाने से इस तरह झुकते हुए देखना मुझे बहुत बुरा लगा ।”
चिराग ने नीतीश के उस बयान का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होने कहा था कि रामविलास पासवान क्या जदयू के समर्थन के बिना राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो सकते थे? उन्होंने कहा, ‘‘ उन्हें (नीतीश को) याद रखना चाहिए मेरे पिता को भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा एक राज्यसभा सीट दिए जाने का वादा किया गया था।
लोजपा प्रमुख ने बिहार विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक सीट नहीं मिलने के कारण जदयू से गठबंधन तोडने के आरोप को खारिज करते हुए कहा, “मैंने केंद्रीय मंत्री अमित शाह जी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से कई बार मुलाकात की, पर एक बार भी सीट-बंटवारे के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई थी । मैं सिर्फ अपनी पार्टी के विजन डाक्यमेन्ट बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट को राजग के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शामिल किए जाने की मांग कर रहा था पर नीतीश जी इसके लिए राजी नहीं थे ”।
उन्होंने नीतीश के सात निश्चय कार्यक्रम को प्रदेश की पिछली महागठबंधन सरकार (राजद-जदयू-कांग्रेस) का कार्यक्रम बताया और इसे खारिज करते हुए आरोप लगाया कि जिस तरह से इसमें घोटाले हुए हैं, लोजपा की सरकार बनते ही उसकी जांच की जाएगी और जितने दोषी हैं, सभी को जेल भेजा जाएगा ।
चिराग ने केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री एवं भाजपा नेता नित्यानंद राय की एक टिप्पणी पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनका रुख स्पष्ट करने को कहा। बिहार चुनाव में विपक्ष, राय की उस टिप्पणी कि राजद की जीत से बिहार कश्मीरी आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह बन जाएगा, को लेकर सत्तारूढ़ राजग को सवालों के लिए घेरे में खड़ा कर रहा है । उनकी इस टिप्पणी को राजग के विरोधी चुनाव से पहले माहौल को सांप्रदायिक बनाने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं। (एजेंसी)