ranchi death

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    ओम प्रकाश मिश्र 

    रांची. पिछले कुछ दिनों से रांची (Ranchi) में मौत (Death) का कहर इस तरह बरपा है कि आम जन मानस स्तब्ध रह गया है। मौत के आकड़ों और अपनों को खोने से सिहर उठे हैं लोग। ज्यादा से ज्यादा लोगों को आक्रामक रूप से निगल लेने वाली मौत ने रांचीवासियों को दहला कर रख दिया है। प्रशासन लाचार होती नजर आने लगी है। हरमू मोक्ष धाम में शव (Dead Body) जलने वाली मशीन ख़राब हो गई है। शवों को जलाने के लिए श्मशानों में लकड़ियां कम पड़ रही है।

    श्मशान में मृतकों से भरे एम्बुलेंस (Ambulance) की कतारें लगने लगी हैं। आज शाम 5 बजे तक हरमू मोक्ष धाम और घाघरा घाटों में 40 लाशों का अंतिम संस्कार किया गया, जबकि रविवार को 116 शवों की अंत्येष्टि की गई थी। रांची में मौत के तांडव से स्थिति भयावह होती जा रही है, शमशान घाट में लाशों से भरी कतारबद्ध गाड़ियां इसकी कहानी बयां कर रही है। हरमू स्थित विधुत शवदाह की मशीन ख़राब होने और शमशानों में लकड़ियां कम पड़ जाने से ऐसी भयावह स्थिति उत्पन्न हुई है कि मृतक के परिजनों को 8 से 9 घंटे तक अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।

    एम्बुलेंस की कतारें लग गई

    मृतकों के अंतिम संस्कार और उनके परिजनों की परेशानी का आज का मंजर यह था कि सड़क पर शवों से लदी एम्बुलेंस की कतारें लग गई। स्थिति की गंभीरता को लेकर जब तक प्रशासन की नींद खुलती शमशानों में भी दर्जनों लाशें आ चुकी थी। प्रशासन की निंद्रा भंग होने के पश्चात लकड़ियां उपलब्ध कराई गई, तब जाकर कहीं मृतकों का अंतिम संस्कार हुआ।  मृतकों के आंकडे को लेकर तथ्य छुपाने की भी बात सामने आने लगी है। जिला प्रशासन के मुताबिक, आज शाम 6 बजे तक 38 से 40 लोगों के अंतिम संस्कार किए जाने की पुष्टि की गई, जबकि सदर अनुमंडलाधिकारी (एसडीएम) के आंकड़ों के अनुसार 27 मृतकों का ही अंतिम संस्कार किया गया। मृतकों की स्थिति की भयावहता को देखते हुए (एसडीएम) ने 24 घंटे के भीतर लाशों को जलाने का फरमान जारी किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पूरा प्रशासन मुस्तैद है और घाटों की व्यवस्था पर खुद नजर रखे हुए है। 

    पिछले 18 दिनों में 342 लोग अपनी जान गवां चुके है

    रांची में मौत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने लगा है। रांची में उपलब्ध 5 शमशानों और दो बड़े कब्रिस्तानों में 116 लाशों का अंतिम संस्कार किया गया। इस वर्ष एक दिन में इतने शवों का आना अपने आप में रिकॉर्ड है। इससे पहले 15 अप्रैल को 100 लाशों का अंतिम संस्कार किया गया था। झारखंड में अप्रैल माह में हर रोज औसतन 19 लोग की मृत्यु हो रही है। कोरोना की दूसरी लहर मौत का कहर बनकर टूट पड़ी है। इस बार कोरोना से न सिर्फ सांस लेने में तकलीफ हो रही है, बल्कि इस बार ज्यादा से ज्यादा लोगों की सांसे ही छीन जा रही है। कोरोना के खतरनाक होने का अंदाजा इस बात से लगाई जा सकती है कि अप्रैल माह में रोज दिन औसतन19 लोगों की जान जा रही है। पिछले 18 दिनों में 342 लोग अपनी जान गवां चुके है।

    मृत्यु दर 7 गुना बढ़ गया

    इस बार की मौत के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो करीब सभी उम्र के लोगों को कोरोना और अन्य बीमारियों ने अपने चपेट में लिया है, पर 40 से 70 वर्ष आयु के लोगो की संख्या ज्यादा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पहली अप्रैल से 18 अप्रैल तक इस आयु वर्ग के 91 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 से 50 वर्ष की आयु के 32 लोग अपनी जान गवां बैठे। 70 साल से अधिक उम्र के 22 लोगों ने दम तोड़ा। मृत्यु दर में वृद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 18 दिनों में मृत्यु दर 7 गुना बढ़ गया है।1 अप्रैल को राज्य में मृत्यु दर 0.30 फीसदी थी, वहीँ 18 अप्रैल को यह बढ़कर 2.01 फीसदी हो गई। कोरोना से इस बार बड़े बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवा वर्ग भी इसकी चपेट में है। सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (रिम्स ) के रिपोर्ट के मुताबिक, 350 कोरोना संक्रमित मरीज इस अस्पताल में भर्ती हैं। इनमे से 200 मरीज अर्थात 57.14 फीसदी मरीज 20 से 40 साल उम्र के है, इनके फेफड़ों में बुजुर्गों की तुलना में ज्यादा संक्रमण मिल रहा है। रिम्स के क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट और कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि शुरुआत में अधिकांश युवा मरीजों का ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 90 से 95 के आसपास रहता है। पर 24 घंटे में यह लेबल 50 से भी नीचे तक गिर जा रहा है। इससे मरीजों की स्थिति नाजुक हो जा रही है। ऑक्सीजन की कमी के कारण अधिकतर लोगों की जान जा रही है। हालांकि एक सर्व दलीय बैठक में मुख्यमंत्री ने आगामी कुछ दिनों में मृत्यु दर को नियंत्रित करने की घोषणा की है पर अगर मौत की यही आक्रामकता बनी रही तो 25 दिनों के भीतर न जाने कितने लोगों को लील जाएगी मौत।