चंडीगढ़. केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए पंजाब के ज्यादातर किसान दिल्ली से लगी सीमाओं पर जमे हुए हैं, ऐसे में उनके परिवार के सदस्य घर पर गेहूं की खड़ी फसल की देखरेख कर रहे हैं और खेती-बाड़ी से जुड़े अन्य कामकाज भी संभाल रहे हैं।
घर के वयस्क पुरूष सदस्यों की अनुपस्थिति में महिलाएं अपने बच्चों के सहयोग से खेतों की सिंचाई करने, उनमें उर्वरकों का छिड़काव करने, मवेशियों की देखरेख करने और उनके लिए चारा काटने का काम कर रही हैं। इस तरह, खेती-बारी का पूरा काम संभाल कर महिलाएं अपने पति और जवान बेटों को यह आश्वस्त कर रही हैं कि वे घर की चिंता ना करें और प्रदर्शन करने में अपना ध्यान लगाएं।
अमृतसर जिले के झीटा कलां गांव की निवासी परमजीत कौर (44) ने कहा, “बच्चों की मदद से हम गेहूं की फसल, पशुओं की देखरेख कर रहे हैं और अन्य काम कर रहे हैं।” कौर के पति हरजीत सिंह एक किसान नेता हैं, जो अभी दिल्ली से लगी सीमा पर किसानों के आंदोलन में भागीदारी कर रहे हैं। उनके दो बच्चे हैं, मनमीत कौर और युवराज सिंह। दंपती के बच्चे अब अपनी मां को कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों में पूरे उत्साह से मदद कर रहे हैं।
कौर ने पीटीआई-भाषा को फोन पर बताया कि दोनों बच्चों ने आईईएलटीएस (अंतरराष्ट्रीय अंग्रेजी भाषा जांच प्रणाली) परीक्षा उत्तीर्ण की है और वे विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं। युवराज अभी खेतों की सिंचाई कर रहे हैं और पशुओं की देखरेख कर रहे हैं। बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण कर चुके युवराज ने कहा, “मैंने पहली बार गेहूं की बुवाई की है।”
कनाडा में पढ़ाई करने को इच्छुक, युवराज की 20 वर्षीय बहन मनमीत कौर ने कहा, “हमने यह काम (खेती-बारी का) कभी नहीं किया था। हम अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे। मेरा काम रसोई तक सीमित था लेकिन अब कृषि कार्य भी कर रही हूं। मैं सब्जियों के खेतों की देखरेख और अन्य काम करती हूं।”
दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे एक अन्य किसान की पत्नी जसप्रीत कौर (35) ने कहा कि वह बठिंडा जिला स्थित अपने जेठुके गांव में पशुओं की देखभाल कर रही है। उन्होंने कहा, “मैं अभी अपने पति की अनुपस्थिति में गाय और भैंस का दूध निकालती हूं।” उनका परिवार अपनी आजीविका चलाने के लिए दूध बेचता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने खेतों की सिंचाई के लिए और यूरिया का छिड़काव करने के लिए कुछ मजदूरों को काम पर रखा है।
तीन बच्चों की मां जसप्रीत ने कहा, “समस्याएं हैं लेकिन हमें उनका सामना करना होगा।” भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि कई इलाकों में ग्रामीण एवं श्रमिक उन किसानों के खेतों में सिंचाई करने के लिए आगे आए हैं, जो कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली से लगी सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। कई गांवों में समितियां भी गठित की गई हैं, जहां ग्रामीण उन किसानों की फसलों की सिंचाई कर रहे हैं जो प्रदर्शन स्थल पर जमे हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से लगी सीमाओं पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की आशंका है कि ये नये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे और उन्हें बड़े कॉरपोरेट समूहों की दया का मोहताज बना देंगे। प्रदर्शनकारी किसानों ने नये कृषि कानूनों में संशोधन करने की केंद्र सरकार की पेशकश को खारिज कर दिया है। (एजेंसी)