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जयपुर. अलवर (Alwar) की विशेष अदालत (Special Court) ने थानागाजी (Thanagaji) में एक विवाहिता के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले (Gang Rape Case) में चार आरोपियों को दोषी मानते हुए मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने इस घटना की वीडियो क्लिप बनाकर उसे वायरल करने वाले पांचवें आरोपी को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।

दोषियों को एक-एक लाख रुपये के आर्थिक दंड से भी दंडित किया गया है। अदालत ने अपने फैसले में लिखा, “अभियुक्तों का यह कृत्य मानवता को शर्मसार करने वाला,कायरतापूर्ण व घृणित कृत्य है जो रामकाल के सीताहरण व कृष्णकाल के द्रौपदी के चीरहरण से भी गंभीर है। दुष्कर्म किसी जाति, धर्म या मजहब की नहीं पूरी इंसानियत की समस्या है।” यह फैसला अनुसूचित जाति जनजाति मामलों की विशेष अदालत ने सुनाया।

अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपी हंसराज गुर्जर, अशोक गुर्जर, छोटेलाल गुर्जर और इंद्रराज गुर्जर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 डी के तहत सामूहिक दुष्कर्म का दोषी मानते हुए आजीवन सश्रम कारावास की सजा दी है। लोक अभियोजक कुलदीप जैन ने बताया कि सभी अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (डी) के अलावा 147,341, 323,342,354,354 (बी), 506, 509, 386, 395 365, 327 और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उत्पीड़न निषेध अधिनियम और सूचना एवं प्रौद्यागिकी (आईटी) की धाराओं के तहत सजा दी गई है।

उन्होंने बताया कि पीड़िता के साथ बार बार दुष्कर्म करने के आरोपी हंसराज को भारतीय दंड संहिता की एक और धारा 376(2)(एन) के तहत दोषी पाया गया है। जैन ने बताया कि अदालत ने चारों आरोपियों को प्राकृतिक मृत्यु तक कठोर कारावास की सजा सुनाई है। चार आरोपियों ने विवाहिता के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और घटना की वीडियो बनाई और उससे धन की मांग की।

इस मामले में शामिल पांचवे अभियुक्त मुकेश गुर्जर को घटना की वीडियो क्लिप बनाने और उसे वायरल करने के आरोप में सूचना एवं प्रोद्योगिकी अधिनियम के तहत पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा दी गई है। साथ ही पचास हजार रुपये के आर्थिक दंड से दंडित किया गया है। उन्होंने बताया कि एक और नाबालिग अभियुक्त के खिलाफ सुनवाई किशोर न्यायालय में चल रही है।

उल्लेखनीय है कि अलवर के थानागाजी बाईपास पर पिछले साल 26 अप्रैल को एक विवाहिता के साथ उसके पति के सामने सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। इस मामले में दो मई को प्राथमिकी दर्ज हुई और घटना की देश भर में कड़ी निंदा हुई थी। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस व भाजपा ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह एक मिसाल है कि कैसे त्वरित जांच से न्याय कम समय में दिया जा सकता है।”

उन्होंने ट्वीट के जरिये कहा राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि हर अपराध में दोषी को दंड मिले और सभी मामलों को निष्पक्ष, गहन और त्वरित सुनवाई हो। उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में सभी जांच अधिकारी, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी प्रशंसा के पात्र हैं।” राजस्थान के पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र सिंह यादव ने फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि इस फैसले से पीड़िता और उसके परिजनों को न्याय मिला है और अन्य लोगो को भी इस फैसले से संबल मिलेगा।

जयपुर के पुलिस महानिरीक्षक एस सैंगाथीर ने अलवर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “इस तरह के किसी भी गंभीर मामले में चालान करने के बाद प्रभावी ढंग से पैरवी करेंगे कोशिश करेंगे कि अभियोजन दर अधिक से अधिक हो और दोषी को अधिकतम सजा मिले।” उन्होंने कहा कि थानागाजी मामले को एक आदर्श केस माना जा सकता है। 100 प्रतिशत सजा हुई और अधिकतम सजा दी गई और इससे अच्छा संदेश भी है और आरोपियों के लिये एक कडा संदेश है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि मई 2019 में जो एक दलित महिला के साथ सामुहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। हमारे पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अलवर गये थे और उस घटना के बाद सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया और समय पर चालान किया और आज फैसला आया है कि उन सब लोगो को सजा हुई है।

उन्होंने कहा कि उस वक्त भी भाजपा के लोगो ने बहुत बवाल मचाया था हमारा यह कहना है कि घटना कोई घट सकती है लेकिन सरकार का उत्तरदायित्व और फर्ज है उस घटना पर तत्काल संज्ञान लेकर दोषियों को गिरफ्तार करना और अदालत से सजा दिलवाना। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, “हमारी भाजपा सरकार ने दुष्कर्मियों को कठोरतम सजा का प्रावधान किया था। इस प्रकरण में दोषियों को मिली सख्त सजा ने समाज कंटकों को एक चुनौतीपूर्ण संदेश दिया है तथा जनता का न्यायपालिका में विश्वास मजबूत हुआ है।” (एजेंसी)