Tejashwi Yadav and Rahul Gandhi

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पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Assembly Election 2020) की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। सीटों का बंटवारा भी हो गया हैं और सभी राजनितिक पार्टियां प्रचार में जुट गई है। इस चुनाव में लालू प्रसाद यादव की राजद (RJD) और कांग्रेस (Congress) एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन 20 साल पुराना इतिहास खंगाला जाये तो कांग्रेस के लिए यह चुनाव घाटे का नजर आता हैं। आंकड़ों के मुताबिक पिछले 20 सालों में 70 सीटों में से 45 सीटों पर कांग्रेस को कभी भी जीत नहीं मिली है। वह हमेशा घाटे में ही रही है। इनमें से 12 सीटों पर भाजपा (BJP) या फिर जदयू (JDU) ने ही जीत हासिल की हैं।

राजद के भी कांग्रेस जैसे ही हाल

कांग्रेस की तरह राजद के भी वहीं हाल है। पिछले 20 सालों में 70 में से 18 सीटों पर राजद को भी जीत नहीं मिल पायी है। पिछले चुनाव में जीन 27 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी उसमें से चार सीटों पर इस बार सहयोगी दल चुनाव लड़ रहा है। बाकी 23 सीटों पर कांग्रेस ही चुनाव लड़ेगी। इसी प्रकार दो सीटें ऐसी भी है जहां राजद को जीत मिली थी लेकिन इस पर इन सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार चुनाव में उतारेंगी। 

कांग्रेस के लिए कुछ सीटों पर चुनौती

कांग्रेस के सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने खुद इस बात को स्वीकारा है कि पार्टी के लिए कुछ सीटों पर काफी चुनौती है। लेकिन इन सीटों पर पार्टी ने मजबूत उम्मीदवारों को उतारा हैं। पार्टी ने मधेपुरा की बिहारीगंज सीट से पूर्व जदयू नेता शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव को उतारा है। बता दें कि यहां जदयू का दबदबा है। वहीं, पूर्व एलजेपी नेता काली प्रसाद पांडे को गोपालगंज की एक विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है। बंकीपुर से पूर्व बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को टिकट दिया गया है। 

2015 के चुनाव में 27 सीटों पर जीती थी कांग्रेस

गौरतलब है कि कांग्रेस ने 2015 के बिहार विधासभा चुनाव में 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में महागठबंधन में जदयू भी शामिल थी।