लुधियाना में स्थापित हुआ कुत्तों के लिए विशेष ब्लड बैंक

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उत्तर भारत के पहले कुत्तों के विशेष ब्लड बैंक की स्थापना पंजाब के लुधियाना में की गई है। इसे लुधियाना के गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी में स्थापित किया गया है। यहां विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त या दुर्घटना में घायल कुत्तों को ब्लड, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा चढ़ाया जाता है। यही नहीं, दानदाता कुत्तों के जरिये रक्त जुटाया भी जाता है। यूनिवर्सिटी के स्मॉल एनिमल मल्टी स्पेशलिटी वेटरनरी अस्पताल में बने इस ब्लड बैंक में अब तक 120 से अधिक बीमार कुत्तों को ब्लड चढ़ाया जा चुका है। इस ब्लड बैंक को स्थापित करने में 50 लाख रुपये का खर्च हुआ है। 

सुविधाएँ-

यहां कई अत्याधुनिक मशीनें हैं, जो कुत्तों के इलाज में काम आती हैं।करायोफ्यूज मशीन कुत्ते से प्राप्त रक्त में से आरबीसी (रेड ब्लड सेल्स), प्लाज़्मा और प्लेटलेट्स को अलग करती है। प्लाज़्मा एक्सप्रेसर मशीन आरबीसी से प्लाज़्मा को अलग करने में मदद करती है। प्लेटलेट्स एजीटेटर कम इंक्यूबेटर मशीन प्लेटलेट्स को स्टोर करने के काम आती है। यह सारी माशिओं की मदद से डॉक्टर्स कई कुत्तों की जान बचते हैं और उनकी रक्षा करते हैं।

क्यों पड़ी ज़रूरत?
यूनिवर्सिटी के अस्पताल में हर साल लगभग 25 से 30 हज़ार बीमार पालतू कुत्ते इलाज के लिए आते हैं। जहाँ उनमें से तो करीब 500 कुत्ते एनीमिया के शिकार होते हैं और कई कुत्तों में प्लेटलेट्स की कमी पाई जाती है। सामान्य तौर पर स्वस्थ कुत्तों में हीमोग्लोबिन (रक्त की मात्रा) 12 से 15 ग्राम होती है। वहीं प्लेटलेट्स की मात्रा ढाई से पांच लाख के बीच होनी चाहिए। कई बार रक्त की कमी की वजह से बीमार कुत्तों की मौत हो जाती थी, क्यूंकि उनका इलाज पहले सिर्फ दवाइयों से ही किया जाता था। लेकिन अब ब्लड बैंक की वजह से कई कुत्तों की जान बचाई जा सकती है। 

ब्लड ग्रुप के प्रकार-

कुत्तों में 13 प्रकार के ब्लड ग्रुप होते हैं। वहीं आधे से ज़्यादा यानि 65 फीसद कुत्तों का ब्लड ग्रुप डीईए 1.1 होता है। वहीं कुत्तों में ब्लड चढ़ाने की ज़रूरत तब पड़ती है जब उनके शरीर में हीमोग्लोबिन पांच ग्राम से कम हो जाए या प्लेटलेट्स की मात्रा 50 हजार से कम हो जाए। उनमें ब्लड चढ़ाने से पहले दानदाता कुत्ते और बीमार कुत्ते के रक्त की क्रॉस मैचिंगकिया जाता है। कुत्तों से मिले प्लेटलेट्स को छह दिन, आरबीसी को 28 से 30 दिन और प्लाज़्मा को एक से दो साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। एक ब्लड बैग चढ़ाने में 200 से 300 रुपये का खर्च आता है, वहीं ब्लड तब ही चढ़ाया जा सकता है जब दानदाता कुत्तें हो। एक साल से अधिक आयु का कोई भी स्वस्थ कुत्ता साल में तीन से चार बार खून दे सकता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि कुत्ते को कोई बीमारी न हो।