Famous Bahuda Rath Yatra of Odisha concluded

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पुरी. 13 दिवसीय लंबी वार्षिक बहुड़ा रथ यात्रा शनिवार को संपन्न हुई। बहुड़ा यात्रा 12 वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की वापसी का प्रतीक है, जिसे ‘नीलाद्री बीज’ कहा जाता है। इस यात्रा में उन्ही सेवकों को रथ खींचने की अनुमति दी गई थी जिनका COVID-19 का परिक्षण नकारात्मक आया था। कोरोना वायरस महामारी के कारण, इस वर्ष भक्तों के स्कोर को मेगा इवेंट देखने के लिए पुरी जाने के अवसर से वंचित कर दिया गया। वे अपने घरों में टेलीविजन पर कार्यवाही देख रहे थे।

विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा 23 जून को शुरू हुई थी। इस बार यह श्रद्धालुओं की उपस्थिति के बिना ही आयोजित की गई क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 22 जून को सिर्फ पुरी में इसकी अनुमति तो दे दी थी लेकिन साथ में यह शर्त भी निर्धारित कर दी कि इसमें सीमित संख्या में सेवादार शामिल होंगे और कोई भीड़ नहीं लगनी चाहिए। रथ यात्रा से पहले मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने तैयारियों की समीक्षा की थी और पुरी प्रशासन से निर्बाध बहुड़ा यात्रा सुनिश्चित करने के लिये कहा था। सुरक्षा बलों की 70 से अधिक पलटनें तैनात की गई थी और लोगों की भीड़ जमा होने से रोकने के लिये कई स्थानों पर अवरोधक लगाए गये थे।