बालासोर. भारत ने देश में विकसित ‘सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो’ (स्मार्ट) प्रणाली का सोमवार को ओडिशा अपतटीय क्षेत्र स्थित एक परीक्षण केंद्र से सफल प्रायोगिक परीक्षण किया। रक्षा सूत्रों ने बताया कि परीक्षण पूर्वाह्न 11 बजकर 45 मिनट पर एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया जिसे पूर्व में व्हीलर द्वीप कहा जाता था।
उन्होंने कहा कि परीक्षण सफल रहा और सभी मानक प्राप्त कर लिए गए। ‘स्मार्ट’ प्रणाली पनडुब्बी विध्वंसक अभियानों के लिए हल्के वजन की टॉरपीडो प्रणाली है। आधिकारिक बयान में कहा गया कि यह परीक्षण और प्रदर्शन पनडुब्बी रोधी क्षमता स्थापित करने में काफी महत्वपूर्ण है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक अधिकारी ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस परीक्षण के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी, जो पनडुब्बी रोधी युद्ध कौशल में एक बड़ी उपलब्धि है। भारत ने ‘स्मार्ट’ के परीक्षण से पहले शनिवार को देश में विकसित एवं एक हजार किलोमीटर की दूरी तक मार करनेवाली परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल ‘शौर्य’ का सफल परीक्षण किया था।
बयान में कहा गया कि निशाने और ऊंचाई तक मिसाइल की उड़ान, टॉरपीडो के निकलने, गति नियंत्रक तंत्र (वीआरएम) सहित ‘स्मार्ट’ के सभी उद्देश्य पूरी तरह प्राप्त कर लिए गए। रडारों और तट के पास स्थित इलेक्ट्रो ऑप्टिकल प्रणालियों, ‘टेलीमेट्री’ स्टेशनों और पोतों पर तैनात निगरानी प्रणालियों से ‘स्मार्ट’ के समूचे परीक्षण पर नजर रखी गई।
सूत्रों ने बताया कि ‘स्मार्ट’ के लिए जरूरी प्रौद्योगिकी का विकास डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं ने किया है जिनमें डीआरडीएल, आरसीआई हैदराबाद, एडीआरडीई आगरा और एनएसटीएल विशाखापत्तनम शामिल हैं।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि ‘स्मार्ट’ प्रणाली पनडुब्बी विध्वंसक युद्ध अभियानों में बाजी पलट देने वाली प्रौद्योगिकी है।
बयान में कहा गया कि ‘स्मार्ट’ जब किसी युद्धपोत या किसी अन्य तटीय मंच से दागी जाती है तो यह सामान्य सुपरसोनिक मिसाइल की तरह उड़ान भरती है। यह अपनी अधिकांश उड़ान हवा में कम ऊंचाई पर तय करती है। जब यह समुद्र में जलमग्न होकर विचरण कर रही किसी दुश्मन पनडुब्बी के नजदीक पहुंचती है तो इसके भीतर से ‘टॉरपीडो’ निकलता है जो पानी को चीरते हुए शत्रु लक्ष्य को नष्ट कर डालता है। (एजेंसी)