Mutations in corona virus, more sensitive to vaccines: study

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भुवनेश्वर. कोविड-19 के लिए दवा बनाने में मदद करने में सक्षम एक बड़ी उपलब्धि के तहत यहां के इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आईएलएस) ने वेरो कोशिकाओं का इस्तेमाल करते हुए मरीज के नमूनों से कोरोना वायरस का ‘इन विट्रो (टेस्ट ट्यूब) कल्चर’ सफलतापूर्वक स्थापित किए हैं। अधिकारियों ने बताया कि बायोटेक्नोलॉजी विभाग के तहत स्वायत्त संस्थान, आईएलएस ने देश के अलग-अलग स्थानों से नमूने लेकर 17 वायरस कल्चर स्थापित किए हैं जिनमें वायरस लोड (विषाणु की मात्रा) अलग-अलग था।

पूरी तरह कोशिका आधारित निष्क्रिय टीकों को विकसित करने के लिए वीरो सेल कल्चर तकनीक का दुनिया भर में इस्तेमाल होता है। आईएलएल के निदेशक अजय परीदा ने कहा, “यह महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि भारत की केवल तीन अन्य प्रयोगशालाओं ने अब तक ‘वायरस कल्चर’ स्थापित करने में सफलता प्राप्त की है।” संभावित दवा लक्ष्यों की जांच एवं स्क्रीनिंग, दवा तैयार करने के साथ ही टीकों के विकास में यह अहम हो सकता है। परीदा ने भरोसा जताया कि यह कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ जंग में और भविष्य की तैयारी में देश के लिए महत्त्वपूर्ण संसाधन साबित हो सकता है।(एजेंसी)