यदि व्यक्ति अपने जुनून के प्रति आश्वस्त है और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित है, तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है। यह कहावत विशाखापट्नम की एक महिला शिक्षिका ने सच करके दिखाई है। अपनी जूनून के बदौलत यह बाकि महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गई है। यह महिला न सिर्फ बच्चों को पढाकर उनका भविष्य बना रही है बल्कि कृषि का भी भविष्य सवांर रही है।
महिला का नाम पुलामथी है। जो बच्चों को पद्धति भी है और खेती भी करती है। आज पुलाथमी के चर्चे पुरे प्रदेश में हो रही है वह महिलाओं के लिए मिशाल है। पुलामथी के पास 27 एकड़ में फैले खेत की मालकिन है। वह बाकि महिलाओं के साथ खुद भी खेती में काम करती है।
पुलामथी पेशे से स्कूल टीचर है। उन्होंने ने मिशाल कायम कर दी है की महिला खेती भी बेहतर तरीके से कर सकती है। पुलाथमी के पास 27 एकड़ जमीन में खेती करती है। उनके खेत में काम करने वाली सभी महिला है। पुलामथी वैसे तो सभी विषय पद्धति है लेकिन उनकी खास बात यह है की, वह जब विज्ञानं पद्धति है तब बच्चों को खेत में ले जाकर प्रैक्टिकल के माध्यम से पढ़ाती है।
खेती का शौक
पुलामथी को बचपन से ही खेती का शौक था। वह शादी से पहले बीएड करते समय भी खेती करती थी। जिसके बाद उन्हें सरकारी नौकरी लगी तब भी वह खेती करती हैं। पुलाथमी अपने खेत में चावल, अदरक और सब्जियां उगाती है।
स्कूल में अकेली शिक्षिका हैं
आंध्र प्रदेश के मज्जीवलसा गांव में पुलामथी रहती है। गांव के स्कूल में वह स्कूल में अकेली शिक्षिका हैं और एक से लेकर पांचवी कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाती है।
ऑर्गेनिक खेती
पुलामथी शुरु से ही ऑर्गेनिक खेती करती चली आ रही है। वह कहती है कि, उन्हें रासायनिक खेती से मिट्टी को होने वाले नुकसान के बारे में पता है। रासायनिक खाद से मिट्टी को नुकसान पहुंचता है। मिट्टी की उर्रवरक क्षमता कम हो जाती है। रासायनिक खाद का परिणाम लोगों का स्वास्थ्य पर होता है। इसीलिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
जैविक खाद का इस्तेमाल
पुलामती कहती है की जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। जैविक खाद से उगाई फसल लोगों के स्वास्थ्य के हिसाब से काफी बेहतर होती है। आज के दौर में जब बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं ऐसे में ऑर्गेनिक फसल काफी राहत पहुंचा सकता है। जिससे लोगों को बीमार होने से बचाया जा सकता है।