Attempt to create largest database on proven medical practice focused on covid-19

Loading

चेन्नई. सिद्ध चिकित्सा के दो प्रमुख संस्थान आयुष संजीवनी मोबाइल ऐप का उपयोग कर इस पारंपरिक उपचार पद्धति के प्रयोग और भारत एवं विदेश में कोविड-19 की रोकथाम पर इसके प्रभाव का सबसे बड़ा आंकड़ा जमा करने में जुटे हैं। केंद्रीय सिद्ध अनुसंधान परिषद (सीसीआरएस) और राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान (एनआईएस) ने इसका जिम्मा संभाला है और यह डेटाबेस न सिर्फ भविष्य के अनुसंधान में सहायक होगा बल्कि सिद्ध चिकित्सा पद्धति की वैधता को पुन: स्थापित भी करेगा। ऐप के जरिए किया जा रहा यह अध्ययन केंद्रीय कार्य बल के अनुसंधान का एकहिस्सा है जिसमें आयुष मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसंधानकर्ता शामिल हैं।

सीसीआरएस, चेन्नई की महानिदेशक डॉ के कनकावली ने पीटीआई-भाषा को बताया, “इसका लक्ष्य आयुष संजीवनी मोबाइल ऐप के लिए एक अरब उपयोगकर्ताओं का समर्थन लेना है। सिद्ध चिकित्सकों, अनुसंधानकर्ताओं, विद्यार्थियों, मरीजों और उनके रिश्तेदारों को शामिल करने के प्रयास जारी हैं।” उन्होंने कहा कि यह ऐप चिकित्सकों और मरीजों के अनुभव रिकॉर्ड करेगा और सिद्ध के उपचारात्मक, बचाव एवं प्रतिरक्षा संवर्धक प्रभावों पर साक्ष्य आधारित अध्ययन उपलब्ध कराएगा। यह पृथक-वास में रहे लोगों के अनुभवों को भी दर्ज करेगा जिनका इलाज सिद्ध चिकित्सा पद्धति के जरिए किया गया।

आम लोगों के मामले में, सरकार यह जानने के लिए सर्वेक्षण करेगी कि क्या उन्होंने कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए मार्च में जारी आयुष मंत्रालय के परामर्श का पालन किया है या नहीं। सीसीआरएस के पूर्व महानिदेशक एवं कोयंबटूर के आरवीएस सिद्ध मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ आर एस रामस्वामी के मुताबिक कुछ निश्चित योगासन और प्राणायम प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।(एजेंसी)